भोपाल: भारतीय जनता पार्टी द्वारा छिंदवाड़ा सीट हथियाने के आक्रामक प्रयासों तथा अपने कई करीबी सहयोगियों के साथ छोड़ने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता कमल नाथ अपने सांसद बेटे नकुल नाथ को इस सीट से दूसरी बार जीत दिलाने के लिए अकेले लड़ाई लड़ रहे हैं। जैसे-जैसे 19 अप्रैल को मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, छिंदवाड़ा में चुनाव प्रचार करना कमलनाथ और नकुल नाथ के लिए पारिवारिक मामला जैसा लगने लगा है। दूसरी तरफ, मध्य प्रदेश के महाकोशल क्षेत्र की इस प्रतिष्ठित सीट पर अपनी पार्टी के उम्मीदवार विवेक बंटी साहू के लिए प्रचार करने के लिए कई वरिष्ठ बीजेपी नेताओं ने दौरा किया है।
सीएम मोहन यादव ने कमल नाथ को बाहरी बताया
बता दें कि बीजेपी पिछले 44 साल में सिर्फ एक बार कमलनाथ परिवार के खिलाफ छिंदवाड़ा से जीती है। पिछले साल साहू छिंदवाड़ा से विधानसभा चुनाव में कमलनाथ से हार गए थे। चुनाव प्रचार के दौरान 6 बार छिंदवाड़ा का दौरा कर चुके मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ‘स्थानीय बनाम बाहरी’ का मुद्दा उठाया। उन्होंने साहू को स्थानीय और उत्तर प्रदेश के कानपुर के कारोबारी परिवार से आने वाले कमलनाथ को बाहरी बताया। पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ लोगों के साथ भावनात्मक जुड़ाव बनाने की कोशिश कर बीजेपी की चुनौती का मुकाबला कर रहे हैं।
‘मैंने अपने युवा दिन छिंदवाड़ा को समर्पित कर दिए’
77 साल के कमलनाथ ने हाल ही में एक सभा में कहा,‘जब मैं 44 साल पहले कहता था कि मैं छिंदवाड़ा से हूं तो लोग पूछते थे कि यह कहां है। आज, आप जहां भी जाते हैं, आप गर्व से कह सकते हैं कि आप छिंदवाड़ा से आए हैं। मैंने अपने युवा दिन छिंदवाड़ा को समर्पित कर दिए। जब भी मैं यहां आता हूं, मुझे वो दिन याद आते हैं।’ कमलनाथ ने युवाओं को सलाह दी है कि वे अपने दादा-दादी से क्षेत्र की खराब स्थिति के बारे में पूछें और अब के विकास से इसकी तुलना करें। कांग्रेस का कोई भी बड़ा राष्ट्रीय नेता नकुल नाथ के प्रचार के लिए छिंदवाड़ा नहीं आया है।
कई स्थानीय नेताओं ने चुनावों से पहले छोड़ी कांग्रेस
लोकसभा चुनाव से पहले अमरवाड़ा के मौजूदा विधायक कमलेश शाह, छिंदवाड़ा के महापौर विक्रम अहाके, पूर्व मंत्री दीपक सक्सेना, जिला पंचायत उपाध्यक्ष अमित सक्सेना, विभिन्न पार्षद, नगर पालिकाओं के पदाधिकारी, सरपंच और कई कांग्रेस पदाधिकारियों ने पार्टी छोड़ दी। कमलनाथ के करीबी सहयोगी दीपक सक्सेना ने 2019 में उनके मुख्यमंत्री बनने के बाद विधानसभा में उनके प्रवेश का मार्ग प्रशस्त करने के लिए अपनी विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया था।
छिंदवाड़ा की सीट से 9 बार जीते थे कमलनाथ
बता दें कि चार दशकों तक कांग्रेस का गढ़ रही छिंदवाड़ा लोकसभा सीट में छिंदवाड़ा और पांढुर्ना जिलों के सात विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें से सभी पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है। कमलनाथ छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से 9 बार जीते थे और उनके बेटे 2019 में 29 संसदीय क्षेत्रों वाले राज्य में कांग्रेस के लिए एकमात्र विजेता थे। निर्वाचन क्षेत्र में 16.28 लाख मतदाता हैं, जिनमें 8.22 लाख पुरुष, 8.05 लाख महिलाएं और 11 तीसरे लिंग के व्यक्ति शामिल हैं। (भाषा)