मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने वादा किया है कि पार्टी अगर राज्य में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज कर सत्ता में लौटती है तो वह कृषि ऋण माफी योजना को फिर से शुरू करेगी, जिसे उसने 2018 में सरकार गठन के बाद लागू किया था। पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शनिवार शाम को यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि अगर उनकी पार्टी की सरकार होती तो राज्य के हर किसान का कृषि ऋण अब तक चुका दिया गया होता।
किसानों के कर्जमाफी को लेकर कमलनाथ ने किया ट्विट
पिछले विधानसभा चुनावों से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पार्टी के सत्ता में आने पर राज्य में कृषि ऋण माफी योजना लागू करने का वादा किया था। पार्टी ने अपना वादा पूरा भी किया था, क्योंकि कमलनाथ ने दिसंबर 2018 में मुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने के तुरंत बाद दो लाख रुपए तक के ऋण माफ करने की फाइल पर हस्ताक्षर किए थे। माना जाता है कि पार्टी की जीत के प्रमुख कारणों में कृषि ऋण माफी का वादा भी शामिल था। कमलनाथ ने जिस दिन (17 दिसंबर 2018) मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, उसी दिन जारी ऋण माफी योजना के आदेश को साझा करते हुए उन्होंने ट्वीट किया था, ‘‘इस दिन (17 दिसंबर) राज्य के किसानों की कर्जमाफी का आदेश जारी किया गया था। अगर अभी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई कांग्रेस सरकार होती तो अब तक राज्य के एक-एक किसान का कर्ज माफ हो गया होता।’’
कर्जमाफी का फिर से किया वादा
कमलनाथ ने आश्वासन दिया कि राज्य में कांग्रेस की वापसी होने पर किसानों का कर्ज माफ किया जाएगा। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘चिंता की कोई बात नहीं है। अगले साल कांग्रेस की सरकार बनते ही यह आदेश दोबारा लागू होगा और एक-एक किसान भाई का कर्ज माफ किया जाएगा।’’
कमलनाथ के ट्विट पर नरोत्तम का वार
कमलनाथ के ट्वीट पर प्रतिक्रिया देते हुए मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इस घोषणा को ‘‘धोखाधड़ी’’ करार दिया। मिश्रा मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार के प्रवक्ता भी हैं। उन्होंने कहा, ‘‘एक भी किसान को दो लाख रुपये तक की कृषि ऋण माफी का लाभ नहीं मिला, जैसा कि (कमननाथ द्वारा पोस्ट) आदेश में कहा गया है। यह धोखा है। यह ट्वीट किसानों के घावों पर नमक छिड़क रहा है, जो इस वादे के कारण ‘डिफॉल्टर’ हो गए हैं।’’
15 माह ही चल पाई थी कांग्रेस की सरकार
पंद्रह साल तक सत्ता में रहने के बाद भाजपा मध्य प्रदेश में 2018 का विधानसभा चुनाव हार गई थी। इसके बाद कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने निर्दलीय, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायकों की मदद से राज्य में सरकार बनाई थी। हालांकि, ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादार दो दर्जन कांग्रेस विधायकों के विद्रोह करने और कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने से मार्च 2020 में कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में एक बार फिर भाजपा की सरकार बनी थी।