मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान कभी भी हो सकता है। मध्य प्रदेश चुनाव के मद्देनजर सत्तारूढ़ बीजेपी ने 79 उम्मीवारों के नामों की घोषणा कर दी है, जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की ओर से ये ऐलान किया जाना बाकी है। उम्मीदवारों को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली में शनिवार को कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक हुई। इसके बाद मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि हमने कई नामों पर चर्चा की है। फिलहाल कोई फैसला नहीं लिया गया है। अगले 6-7 दिनों में फैसला ले लिया जाएगा।
"एक और बैठक बुलाकर होगा फैसला"
कमलनाथ ने कहा कि हमने 130-140 सीटों पर चर्चा की है। एक और बैठक बुलाकर फैसला लिया जाएगा। पूर्व मुख्यमंत्री के इस बयान ने कांग्रेस पार्टी से टिकट की आस लगाए बैठे नताओं की बेचैनी और बढ़ा दी है। वहीं कांग्रेस, पार्टी के साथ पिछली बार की तरह अपने ही घर में बगावत नहीं करना चाहेगी। आपको याद भी होगा कि पिछली बार 2018 के चुनाव में मध्य प्रदेश की जनता ने कांग्रेस को सत्ता में वापसी का आशीर्वाद तो दे दिया था, लेकिन 15 माह के शासन के बाद सिंधिया की बगावत ने कांग्रेस को मध्य प्रदेश की सत्ता से बेदखल कर दिया।
कैसे सत्ता से बेदखल हुई थी कांग्रेस?
कांग्रेस के 22 विधायकों ने अपने ही गोल पोस्ट पर गोल मारकर कांग्रेस को सत्ता से बाहर करते हुए बीजेपी के साथ मिल गए और शिवराज सिंह की कप्तानी में मध्य प्रदेश की सत्ता में शरीक हो गए। इस तरह पूरी की पूरी कांग्रेस सिर्फ तमाशबीन बनकर बीजेपी द्वारा खेले गए इस सियासी मैच को देखती रह गई। शायद उसी बगावत का डर कांग्रेस को अभी भी सता रहा है। पार्टी अपने राजनैतिक पाशे बहुत सोच समझकर चल रही है। बीजेपी उम्मीदवारों की तीन सूची आने के बाद भी अभी तक कांग्रेस की एक भी सूची का नहीं आना इस ओर इशारा कर भी रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयान से भी लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी इस बार कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है।
- विशाल खण्डेलवाल की रिपोर्ट