Jyotiraditya Scindia: ज्योतिरादित्य सिंधिया जब तक कांग्रेस में थे, चुनिंदा लोगों से ही वन टू वन मिलते थे लेकिन जब से उन्होंने बीजेपी का दामन थामा है, तब से उनका अंदाज लगातार बदल रहा है। कभी धुर विरोधी रहे वरिष्ठ नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय से भी नजदीकी दिनोंदिन बढ़ गई है। यह राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। मध्य प्रदेश की राजनीति में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को 'महाराज' कहा जाता है, कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आने के बाद सिंधिया का अंदाज ही बदल गया है, इस बदले अंदाज ने बीजेपी के भीतर ही सुगबुगाहट पैदा करने का काम कर दिया है।
राज्य की सरकार में बदलाव लाने में सिंधिया की बड़ी भूमिका मानी जाती रही है। फिर वह चाहे साल 2018 में विधानसभा चुनाव में बढ़त दिलाकर कांग्रेस को सत्ता में लाने की बात हो या फिर कांग्रेस में अनबन के चलते अपने समर्थकों के साथ पाला बदलकर बीजेपी की सत्ता में वापसी कराना। बीजेपी की सत्ता में वापसी का बड़ा श्रेय सिंधिया को जाता है। अब वे बीजेपी के राज्यसभा सदस्य हैं तो मोदी सरकार में मंत्री भी।
तेजी से बढ़ रही है सिंधिया के चाहने वालों की संख्या
कांग्रेस में जब सिंधिया थे तब उनकी पहचान एक तेजतर्रार नेता के साथ अपने खास अंदाज के कारण हुआ करती थी, मगर बीजेपी में आने के बाद उन्होंने अपने में बदलाव लाने का सिलसिला शुरू किया और वे जल्दी लोगों से घुलने मिलने की कोशिश करने लगे। छोटे से लेकर बड़े कार्यकर्ता के घर तक जाने में उन्हें अब गुरेज नहीं है, यही कारण है कि उनके चाहने वालों की बीजेपी में भी संख्या तेजी से बढ़ रही है।
सिंधिया की कार्यशैली की सियासी गलियारे में चर्चा
बीते कुछ दिनों की सिंधिया की कार्यशैली सियासी गलियारे में चर्चा में है। पहला वाकया है सिंधिया का इंदौर में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के घर पहुंचना, यहां उनके साथ पुत्र महाआर्यमन भी थे। सिंधिया की इस मुलाकात को काफी अहम माना जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि सिंधिया और विजयवर्गीय को एक दूसरे का धुर विरोधी माना जाता रहा है। सिंधिया की पहले विजयवर्गीय से हुई मुलाकात चचार्ओं में रही तो अब ग्वालियर में दलितों के साथ भोजन करना भी सुर्खियां बना हुआ है। ग्वालियर में अनुसूचित जाति वर्ग के प्रतिनिधियों और अन्य लोगों के कार्यक्रम में सिंधिया ने शिरकत की। इस दौरान सिंधिया ने न केवल अपने हाथ से खाना परोसा बल्कि उनके साथ बैठकर एक थाली में खाना खाया भी, संभवत: यह पहला मौका रहा होगा जब सिंधिया राजघराने के किसी व्यक्ति ने जनजातीय वर्ग के कार्यक्रम में साथ बैठकर खाना खाया हो।
दावेदारों की कतार में हैं सिंधिया?
सिंधिया के इस बदले अंदाज को राजनीतिक विश्लेषक सियासी तौर पर अहम मान रहे है, उनका कहना है कि राज्य में सियासी गर्माहट बनी हुई है, कई राज्यों में पार्टी ने बदलाव किए हैं, गाहे-बगाहे मध्य प्रदेश में भी बदलाव की चचार्एं जोर पकड़ लेती है, लिहाजा सिंधिया भी दावेदारों की कतार में है, मगर उनकी 'महाराज' वाली छवि को लेकर सवाल उठते रहते हैं, इसलिए उन्होंने अपनी छवि को बदलने का अभियान चलाया हुआ है, विरोधियों से भी नजदीकिया बढ़ाने में पीछे नहीं हैं, चाहे वह विजयवर्गीय हों या जयभान सिंह पवैया।