मध्य प्रदेश में ट्रांसपोर्टर्स की हड़ताल के कारण अन्य जरूरी सामानों के साथ ही पेट्रोल, डीज़ल की सप्लाई भी बाधित बाधित हो गई है। इस हड़ताल का समर्थन पेट्रोल-डीजल टैंकर के संचालकों ने भी किया है। रविवार को कई जगह पेट्रोल, डीज़ल खत्म होने पर पम्प बन्द कर दिए गए। जिला कलेक्टर लोकेश जाटव ने नागरिकों से आह्वान किया है कि वे पेट्रोल डीज़ल की आपूर्ति को लेकर चिंतित नहीं हों। डीज़ल और पेट्रोल की आपूर्ति सतत् जारी रहेगी।
कलेक्टर एवं जिला दंडाधिकारी लोकेश कुमार जाटव ने बताया है कि ज़िले में कहीं पर भी पेट्रोल डीज़ल की कमी नहीं होने दी जाएगी। इस बाबत पर्याप्त प्रबंध किए जा रहे हैं। पेट्रोल डीज़ल के टैंकर को रोकने वालों पर सख़्त क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी। ट्रांसपोर्टर और टैंकरों की हड़ताल से रविवार को इंदौर में पेट्रोल-डीजल की किल्लत हो गई। कई पंपों ने पेट्रोल-डीजल खत्म होने का बोर्ड टांग दिया तो जिन पर उपलब्ध था, वहां वाहनों की लंबी कतारें लग गई।
क्या है हड़ताल की वजह
मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में डीजल और पेट्रोल पर 5 फीसदी वैट बढ़ा दिया है जिसके चलते मध्यप्रदेश में बाकी राज्यों के मुकाबले पेट्रोल डीजल का भाव 4 से 5 रुपये बढ़ गया है। ऐसे में ट्रक मालिकों को ज्यादा कीमत पर पेट्रोल-डीजल खरीदना पड़ रहा है लेकिन माल भाड़ा वही का वही है, जिसके चलते सूबे में ट्रकों की ये हड़ताल हुई है।
ट्रांसपोर्टरों ने एक अक्टूबर को सीएम कमलनाथ से भोपाल में मुलाकात कर 28 हजार किलो या उससे भारी ट्रक के लाइफटाइम टैक्स को क्वार्टरली करने और डीजल-पेट्रोल पर बढ़ाये गए 5 फीसदी वैट को खत्म करने की मांग की थी।
हड़ताल पर शुरू हुई राजनीति
त्योहार के मौसम में ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल पर भाजपा ने कमलनाथ सरकार को घेरा है। भाजपा ने आरोप लगाया है कि खरीदी के इस सीजन में हड़ताल होने से प्रदेश में हालात खराब हो सकते हैं।
बढ़ सकते हैं दूध और सब्जियों के दाम
सरकार और ट्रांसपोर्टरों के रुख को देखते हुए इस हड़ताल के जल्द खत्म होने के आसार तो नहीं दिख रहे जिससे इतना तो तय है कि हड़ताल लंबी खिंचने से माल-ढुलाई से लेकर जरूरी समान जैसे दूध-सब्ज़ियों तक के भाव बढ़ सकते हैं जिससे दीवाली के सीजन में आम आदमी का दिवाला ज़रूर निकल सकता है।