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लड़की को अपनी ही सहेली से हुआ प्यार, पिता को नहीं आया पसंद तो पहुंच गए कोर्ट, अब न्यायालय ने सुनाया ऐसा फैसला

जबलपुर के खमरिया इलाके में रहने वाली दो लड़कियां बचपन से साथ खेली और पढ़ते-पढ़ते बड़ी भी हुई। दोनों का एक दूसरे के घर में भी आना जाना था और सबका एक दूसरे से लगाव भी था।

Edited By: Ravi Prashant @iamraviprashant
Published : Nov 10, 2022 21:52 IST, Updated : Nov 10, 2022 21:52 IST
लड़की को अपनी ही सहेली प्यार
Image Source : PEXELS लड़की को अपनी ही सहेली प्यार

मध्यप्रदेश में दो लड़कियों की दोस्ती के मोहब्बत में बदल गई। जानकारी के मुताबिक, दोनों युवतियां लगभग दो महीने पहले घर से भाग चुकी थी और अब अपने परिवार से अलग रह रही हैं। जब ये मामला उच्च न्यायालय में पहुंचा तो न्यायालय ने अपने जवाब में कहा कि युवती बालिग हैं। इसमें हम कोई हस्तछेप नहीं कर सकते हैं। वो खुद फैसला लेंगी कि उन्हें क्या करना है। वहीं जब एक युवती के पिता अपनी लड़की के पास गए तो उसने आने से इनकार कर दिया। 

 

बचपन से साथ रहती थी 

जबलपुर के खमरिया इलाके में रहने वाली दो लड़कियां बचपन से साथ खेली और पढ़ते-पढ़ते बड़ी भी हुई। दोनों का एक दूसरे के घर में भी आना जाना था और सबका एक दूसरे से लगाव भी था। वर्तमान में एक युवती 18 साल की है तो दूसरी 22 साल की हो चुकी है। दोनों के रिश्तो के बारे में परिवार को पता चला तो वह दोनों लड़कियां भागकर भोपाल पहुंच गई और एक हॉस्टल में रहने लगी।

मामला पुलिस में पहुंचा तो क्या हुआ? 
पुलिस के मुताबिक 18 साल की गायब हुई लड़की के परिवार वालों ने थाने में शिकायत दर्ज कराई। जबलपुर पुलिस भोपाल पहुंची और युवती को बरामद किया, मगर उसने पिता के साथ जबलपुर जाने से इनकार कर दिया। इस पर पिता ने हाईकोर्ट का रुख किया और बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की, साथ ही न्यायालय को बताया कि बेटी को महिला मित्र के बजाय घर पर रहने के लिए मनाने की कोशिश की लेकिन वह नहीं मान रही है। याचिका को हाईकोर्ट ने मंजूर कर युवती को हाजिर करने का नोटिस भेजा।

कोर्ट ने सुनाया ऐसा फैसला 
अधिवक्ता सुयश ठाकुर ने बताया है कि, याचिका पर उच्च न्यायालय जबलपुर के मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और विशाल मिश्रा की डबल बेंच में सुनवाई हुई। इस दौरान पिता ने बताया कि बेटी गलत राह पर चल रही है। उसे समझाने का प्रयास किया, वहीं बेटी ने न्यायालय को बताया है कि घर वाले उसे पीटते हैं । वह बालिग है, समझदार है, अपने पैरों पर खड़ी है इसलिए उसे अपना जीवन जीने की इजाजत दी जाए।

फैसले लेने के लिए स्वतंत्र
बताया गया है कि न्यायालय ने दोनों का पक्ष सुना उसके बाद युवती और उसके परिवार वालों को आपस में सलाह करने को कहा ।उसके बाद भी युवती परिवार के साथ जाने को तैयार नहीं हुई और अपनी सहेली के साथ रहने पर अड़ी रही। परिणाम स्वरूप न्यायालय ने कहा कि लड़की बालिग है इसलिए अपनी जिंदगी से जुड़े फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है।

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