भोपाल जिसे नवाबों का और तालाबों के शहर के नाम से जाना जाता है। एशिया की सबसे बड़ी और छोटी मस्जिद का शहर भोपाल। वह भोपाल जिसने पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, उमा भारती और कांग्रेस जैसे नेता दिए हैं। आज हम बात करेंगे उसी लोकसभा सीट की। ये लोकसभा सीट मध्य प्रदेश की राजधानी में स्थित है। लेकिन यह सीट हमेशा से वीआईपी रही है। इस सीट ने मध्य प्रदेश को मुख्यमंत्री दिया और देश को दिया 9वां राष्ट्रपति यानी शंकर दयाल शर्मा। लिहाजा इस संसदीय सीट का इतिहास जानना दिलचस्प हो जाता है।
भाजपा ने आलोक शर्मा को बनाया उम्मीदवार
2019 के लोकसभा चुनाव में 3.50 लाख से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज करने वाली प्रज्ञा सिंह ठाकुर का टिकट काटकर भाजपा ने आलोक शर्मा पर दाव खेला है। ब्राह्मण समाज से आने वाले आलोक शर्मा भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। आलोक शर्मा 1994 में निगम पार्षद रह चुके हैं। 2015 में भोपाल नगर निगम के महापौर रहे हैं। भाजपा ने उन्हें 2023 में भोपाल उत्तर से विधानसभा का टिकट दिया था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। ऐसा कहा जा रहा है कि प्रज्ञा ठाकुर के विवादित बयानों के कारण उनका टिकट काटा गया।
अरुण श्रीवास्तव पर कांग्रेस ने खेला दाव
वहीं अगर कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस पार्टी ने भोपाल की लोकसभा सीट से अरुण श्रीवास्तव को अपना उम्मीदवार बनाया है। अरुण श्रीवास्तव पेशे से वकील हैं और कायस्थ समाज से आते हैं। बता दें कि अरुण श्रीवास्तव कांग्रेस पार्टी के भोपाल ईकाई के उपाध्यक्ष समेत कई अहम पदों पर रह चुके हैं।
भोपाल लोकसभा सीट का महत्व
भोपाल की लोकसभा सीट के तहत 7 विधानसभा की सीटें आती हैं। इनमें से 5 विधानसभा सीटें भाजपा के पास हैं और 2 सीटें कांग्रेस के पास। भोपाल लोकसभा सीट के तहत बैरसिया, भोपाल उत्तर, नरेला, भोपाल दक्षिण और पश्चिम, भोपाल मध्य, गोविंदपुरा और हुजूर विधानसभा सीटें आती हैं।
भोपाल लोकसभा सीट का चुनावी इतिहास क्या है?
भोपाल गैस कांड से पहले भोपाल लोकसभा सीट कांग्रेस का गढ़ थी। लेकिन इसके बाद भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की। इसके बाद से भाजपा अबतक इस सीट पर हारी नहीं है। भोपाल में अबतक 16 बार आम चुनाव हुए हैं। जिसमें से 9 बार भाजपा, 5 बार कांग्रेस और 1 बार जनसंघ और भारतीय लोकदल ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस को यहां 1957, 1962, 1971, 1980 और 1984 में जीत मिली है। यानी उस समय इसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। लेकिन भोपाल गैस कांड के बाद से यहां की तस्वीर बदली। तब से लेकर अबतक यानी 1989 से लेकर 2019 तक इस सीट पर लगातार भाजपा जीत रही है। सबसे ज्यादा बार भाजपा के सुशील चंद्र इस सीट से सांसद रहे हैं। 2019 में साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को इस सीट पर टिकट दिया गया था, जिसमें भारी बहुमत से उन्हें जीत मिली थी।
भोपाल लोकसभा सीट का सियासी समीकरण
2011 की जनगणना के अनुसार भोपाल लोकसभा सीट पर 19 लाख से ज्यादा वोटर्स हैं। इसमें से 10 लाख से ज्यादा पुरुष और 9 लाख से ज्यादा महिला वोटर्स हैं। 56 फीसदी हिंदू हैं यहां और 40 फीसदी आबादी मुस्लिम हैं। 7 मई को इस सीट पर वोटिंग की जाएगी। वहीं चुनाव के परिणाम 4 जून को घोषित किए जाएंगे।