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उच्च न्यायालय ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं को दी जमानत, न्यायाधीश की कार छीनकर कुलपति को पहुंचाया था अस्पताल

मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक घटना देखने को मिली थी। यहां कुलपति को अस्पताल ले जाने के लिए एबीवीपी के दो कार्यकर्ताओं ने रेलवे स्टेशन पर खड़ी जज की कार को छीन लिया था। इस मामले में उनके खिलाफ डकैती का केस दर्ज किया गया था, जिसपर अब हाईकोर्ट ने एबीवीपी के दोनों छात्रों को जमानत दे दी है।

Edited By: Avinash Rai @RaisahabUp61
Published on: December 18, 2023 23:27 IST
High Court grants bail to ABVP workers snatched the judge car and took the Vice Chancellor to the ho- India TV Hindi
Image Source : TWITTER हाईकोर्ट ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं को दी जमानत

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने सोमवार को यहां अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के दो स्थानीय कार्यकर्ताओं को डकैती के आरोपों में जमानत प्रदान की। इन दोनों कार्यकर्ताओं ने एक निजी विश्वविद्यालय के बीमार कुलपति को अस्पताल पहुंचाने के लिए ग्वालियर रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की कार को जबरन ले लिया था। न्यायमूर्ति सुनिता यादव की एकल पीठ ने एबीवीपी की ग्वालियर इकाई के सचिव हिमांशु श्रोत्रिया (22) और उपसचिव सुकृत शर्मा (24) को जमानत प्रदान की। दोनों को डकैती रोधी कानून मध्य प्रदेश डकैती और व्यपहरण प्रभावित क्षेत्र अधिनियम (एमपीडीवीपीके अधिनियम) के तहत आरोपी बनाया गया है। 

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कोर्ट ने एबीवीपी कार्यकर्ताओं को दी जमानत

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (आरएसएस) से संबंधित छात्र संगठन के दोनों कार्यकर्ताओं ने पिछले बुधवार को अधीनस्थ न्यायालय में डकैती मामलों के लिए विशेष न्यायाधीश संजय गोयल द्वारा उनकी जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। विशेष न्यायाधीश ने यह टिप्पणी करते हुए दोनों को जमानत देने से इनकार कर दिया था कि किसी से मदद मांगने के लिए आपको विनम्रता दिखानी होगी न कि बल। प्रतिवादी के वकील भानू प्रताप सिंह ने संवाददाताओं से कहा कि उनके मुवक्किल ने उच्च न्यायालय को बताया कि उनका इरादा अपराध को अंजाम देने का नहीं था बल्कि वह एक जरूरतमंद व्यक्ति को चिकित्सा सहायता प्राप्त करने में मदद कर रहे थे।

शिवराज सिंह चौहान ने लिखा पत्र

उन्होंने बताया कि वे कानून के छात्र हैं न कि अपराधी। सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय ने जमानत देते हुए पाया कि दोनों का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। बता दें कि इस मामले में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखते हुए यह अपील की थी कि छात्रों के भविष्य को देखते हुए उन्हें रिहा कर दिया जाए। शिवराज सिंह चौहान ने अपने पत्र में लिखा कि छात्रों का उद्देश्य डकैती करने की नहीं बल्कि कुलपति की जान बचाने की थी, इसलिए छात्रों ने ऐसी हरकत कर दी। इसके लिए उन्हें माफी दे दी जाए।

(इनपुट-भाषा)

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