मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में निसंतानता के मुद्दे पर तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें आईवीएफ, टेस्ट ट्यूब बेबी जैसी कई टेक्निकल मामलों पर विशेषज्ञों ने चर्चा की। इस कार्यक्रम में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया भी शामिल हुए। उन्होंने निसंतानता को लेकर महिलाओं पर उठाए जा रहे सवाल पर कहा कि निसंतानता सिर्फ महिला जनित बीमारी नहीं है। बल्कि इसमें पुरुष भी शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि निसंतानता के मामले में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए पुरुषों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। वर्तमान के समय में महिला सशक्तिकरण बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जब बच्चे पैदा नहीं होता तो समाज में अक्सर केवल महिलाओं को ही जिम्मेदार ठहराया जाता है।
पारंपरिक चिकित्सा को बनाएं समृद्ध
बता दें कि इस वर्कशॉप में देश के कोने कोने से आए निसंतानता के विशेषज्ञों ने अपनी अपनी बात रखी। यहां निसंतानता की बीमारी से निपटने के लिए भारतीय पारंपरिक चिकित्सा के इस्तेमाल व इसे आधुनिक बनाने को लेकर भी सुझाव दिया गया। बता दें कि इस वर्कशॉप में देश-विदेश के कई 2000 से अधिक डॉक्टर शामिल हुए जिन्होंने 300 रिसर्च पेपर भी शेयर किए।
आईवीएफ में आयुष्मान योजना का लाभ
इस वर्कशॉप में देशभर के कोने कोने से आए विशषज्ञों द्वारा रिसर्च पेपर शेयर किए गएं। इस वर्कशॉप में आईवीएफ के जरिए किस प्रकार बच्चों का जन्म होता है इस पूरी प्रक्रिया को समझाया गया। साथ ही बताया गया कि आयुष्मान योजना के तहत किस तरह आईवीएफ में लाभ लिया जा सकता है।
देश में बढ़ रही निसंतानता
विशेषज्ञों द्वारा प्रस्तुत किए गए रिसर्च पेपर्स के मुताबिक देश व समाज में वर्तमान समय में निसंतानता के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। रिसर्च पेपर में निसंतानता के पीछे का मुख्य कारण शादी में देरी को बताया गया है। शादी देरे से होने के कारण समाज में निसंतानता बढ़ रही है। साथ ही लाइफस्टाइल, खानपान, व्यायाम न करने से भी निसंतानता के मामले बढ़ रहे हैं।