मध्य प्रदेश के ग्वालियर में क्या अभी भी महाराज का राज चलता है? ये सवाल इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि ग्वालियर प्रवास के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया कलेक्टर कार्यालय पर आयोजित सरकारी बैठक में पहुंच गए। बता दें सिंधिया फिलहाल न तो सांसद हैं और न ही विधायक। सिंधिया के मीटिंग में जाने पर जब बीजेपी ने सवाल खड़े किए तो कांग्रेस ने कह दिया 'महाराज यदि बैठक में गए तो क्या गलत कर दिया'। ऐसे में माना जा रहा है कि लोकतंत्र में भले ही राजा महाराजाओं का दौर खत्म हो चुका है, लेकिन मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार में आज भी राजा महाराजाओं की चलती है।
ग्वालियर के सिंधिया घराने का राज-पाट चला गया, लोकसभा चुनाव में भी हार गए, लेकिन कमलनाथ सरकार के सामने ज्योतिरादित्य सिंधिया का कद और रुतबा अब भी बरकरार है। सिंधिया सरकार में मंत्री हो ना हो लेकिन वे जब भी ग्वालियर का दौरा करते हैं तो बाकायदा प्रेस नोट में लिखा जाता है कि आज कलेक्टर कार्यालय में जिला प्रशासन के अधिकारियों के साथ मुलाकात होगी। पिछले दिनों कलेक्टर कार्यालय में हुई बैठक को लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी फोटो के साथ ट्वीट किया है। हालांकि सरकारी अधिकारियों की इस बैठक के मुखिया कलेक्टर हैं, लेकिन बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया की कुर्सी एकदम बीचों बीच लगाई गई है।
ग्वालियर मे कलेक्टर की तरफ से बुलाई गई अधिकारियों की इसी सरकारी बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया की मौजूदगी पर अब बीजेपी ने सवाल खड़े करते हुए कह रही है कि मध्यप्रदेश में मजबूर कमलनाथ सरकार है, दिग्विजय सिंह के बाद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया भी सरकार में अपना दबदबा जाहिर करने में लगे हैं और सरकारी अफसर डरें हैं कि किसकी सुनें।
बीजेपी ने भले ही शासकीय बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया को बुलाने पर सवाल खड़े किए हैं लेकिन कांग्रेस को इसमे कुछ गलत नहीं लगता। कांग्रेस सरकार में मंत्री पीसी शर्मा ने तो यहां तक कह दिया कि सिंधिया ग्वालियर के महाराजा रह चुके हैं ऐसे में अगर बैठक में गए हैं तो क्या गलत किया। बता दें कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ना तो ग्वालियर से कभी सांसद रहे, ना विधायक और ना ही पार्षद। फिलहाल उनके पास भले ही कोई पद ना हो लेकिन ग्वालियर पर राज कर चुके हैं इसलिए शायद महाराज की हैसियत से ही सरकारी बैठक में गए हैं।
बैठक के बाद सिंधिया पत्रकारों को भी जोश के साथ बताते हैं विकास कार्यों की समीक्षा के लिए वो इस बैठक में आए थे। इससे पहले जुलाई 2019 में लोकसभा चुनाव के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया जब ग्वालियर पहुंचे थे तब स्थानीय प्रशासन के सभी आला अधिकारियों को जयविलास पैलेस में बुलवाया गया था जिसपर उस वक़्त भी सवाल खड़े हुए थे।