मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम यानी छतरपुर जिले के गांव गढ़ा में एक बार फिर संतों का समागम हुआ है । 5 और 6 अप्रैल को बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री हनुमान जयंती के मौके पर दो दिवसीय मानस सम्मेलन करवा रहे हैं। 2 दिनों के इस संत समागम में देश भर के कथावाचक शामिल हो रहे हैं। बागेश्वर धाम के प्रमुख सेवादार नीतेंद्र चौबे के मुताबिक 2 से लेकर 6 अप्रैल तक सवा लाख हनुमान चालीसा का महायज्ञ शुरू हो चुका है। 6 तारीख को हनुमान जी के जन्मोत्सव को बड़े धूमधाम के साथ बागेश्वर धाम में मनाया जाएगा। इसके अलावा रामचरितमानस का सम्मेलन भी चलेगा जिसमें बुंदेलखंड के साथ-साथ देश के तमाम संत अपना व्याख्यान देंगे।
हिंदू राष्ट्र बनाने की संकल्पना
बागेश्वर धाम समिति के प्रवक्ता कमल अवस्थी के मुताबिक बनारस से आए 201 से ज्यादा पंडित विधि विधान से हनुमान चालीसा का पाठ कर रहे हैं। अवस्थी के मुताबिक हनुमान जन्मोत्सव के पावन पर्व पर धार्मिक अनुष्ठान के मुख्य यजमान धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री हैं, उनके मुताबिक अनुष्ठान का मुख्य उद्देश्य जगत कल्याण के साथ-साथ सनातन धर्म के प्रचार के साथ-साथ हिंदू राष्ट्र बनाने की संकल्पना को मजबूती देना भी है। 2 दिन के इस मानस सम्मेलन में रामचरित मानस पर मानस मर्मज्ञ द्वारा 'रामचरित मानस आज के युग में महत्व' पर चर्चा होगी । गौरतलब है 2 महीने पहले रामचरित मानस पर तमाम बड़े नेताओं द्वारा विवादित टिप्पणियों के बाद बाबा की नाराजगी सामने आई थी।
संविधान के इस पृष्ठ पर अंकित है 'भगवान राम' का नाम
पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने इंडिया टीवी से बातचीत करते हुए कहा था, "रामचरित मानस पर उंगली उठाना अपने आप के अस्तित्व पर उंगली उठाना है। रामचरित मानस एक ऐसा ग्रंथ है, उन भगवान राम का ग्रंथ है जिन भगवान का पुष्पक विमान हमारे भारत के संविधान के प्रथम पृष्ठ पर है और अगर संविधान को मानते हैं तो संविधान के प्रथम राष्ट्र के भगवान श्रीराम को क्यों नहीं मानते हो और अगर नहीं मानते हो तो आप को भारत में रहने का अधिकार नहीं है। संविधान मानना तुम्हारा मौलिक अधिकार है। तुम्हारे पूर्वजों ने स्वीकार किया तो जो प्रथम पृष्ठ पर भगवान राम अंकित हैं। वह मानने का अधिकार और उनकी गाथा रामचरित मानस में और उसको ना मानना मतलब आपके अंदर खोट नजर आ रही है।''
'बार-बार का झंझट खत्म कर देना चाहिए'
बाबा बागेश्वर रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाए जाने के उनकी मांग पर इंडिया टीवी के सवाल पर बोले थे, "अब बार-बार का झंझट खत्म कर देना चाहिए। एक बार में भारत को हिंदू राष्ट्र बनाएं और रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करो ।यह पत्थर मारना यह हेलोलुइया होना यह बार-बार रामचरित मानस पर आप उंगली उठाना यह टॉपिक ही बंद हो जाएगा । जब भारत हिंदू राष्ट्र होगा, तब राम की चर्चा होगी ना हिंदू ना मुसलमान न सिख न ईसाई सब आपस में भाई-भाई।''
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