Thursday, November 21, 2024
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खुला पत्र लिखकर 100 से ज्यादा पूर्व नौकरशाहों ने प्रज्ञा ठाकुर पर की कार्रवाई की मांग, कहा- नफरत फैलाने का काम कर रहीं

पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने खुले पत्र में कहा कि एक समाज के रूप में हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ अभद्र भाषा सुनने के अभ्यस्त हो गए हैं। विभिन्न गैर-हिंदू समुदायों के खिलाफ, मुख्य रूप से मुसलमानों के खिलाफ और हाल ही में ईसाइयों के खिलाफ प्रिंट, दृश्य और सोशल मीडिया में रोजाना जहर उगला जाता है।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published on: January 08, 2023 13:15 IST
 प्रज्ञा सिंह ठाकुर- India TV Hindi
Image Source : FILE PHOTO प्रज्ञा सिंह ठाकुर

पूर्व नौकरशाहों के एक समूह ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के नफरत भरे भाषण पर कार्रवाई की मांग की है। 103 पूर्व नौकरशाहों की ओर से लिखे गए खुले पत्र में जिक्र किया गया है, "हम, संवैधानिक आचरण समूह में यह दृढ़ता से मानते हैं कि लोकसभा के नियमों के मुताबिक उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। नफरत भरे भड़काऊ भाषण और नफरत फैलाने के उनके बार-बार के कार्यों के कारण उन्होंने एक संसद सदस्य होने का नैतिक अधिकार को खो दिया है।"

उन्होंने खुले पत्र में कहा, "एक समाज के रूप में हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ अभद्र भाषा सुनने के अभ्यस्त हो गए हैं। विभिन्न गैर-हिंदू समुदायों के खिलाफ, मुख्य रूप से मुसलमानों के खिलाफ और हाल ही में ईसाइयों के खिलाफ प्रिंट, दृश्य और सोशल मीडिया में रोजाना जहर उगला जाता है। इन मौखिक हमलों के साथ अक्सर शारीरिक हिंसा, उनके पूजा स्थलों पर हमले, धर्मांतरण विरोधी कानून, अंतर-धार्मिक विवाह के रास्ते में आने वाली बाधाएं, आजीविका से वंचित करना और समाज में उनकी हैसियत कम करने के लिए असंख्य अन्य कार्रवाइयां होती हैं।"

शिवमोग्गा में दिए गए अभद्र बयान का जिक्र

पत्र में उन मीडिया रिपोर्टों का हवाला दिया गया है, जिनमें 25 दिसंबर, 2022 को शिवमोग्गा, कर्नाटक में हिंदू जागरण वैदिके के दक्षिण क्षेत्र के वार्षिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए लोकसभा सांसद प्रज्ञा ठाकुर, जिन्हें 'साध्वी प्रज्ञा' के नाम से भी जाना जाता है, ने भीड़ को उकसाया कि अन्य समुदायों के पुरुषों से अपनी महिलाओं की रक्षा करें।

पत्र में कहा गया है, "उन्होंने उनसे सब्जियां काटने वाले अपने चाकू को तेज रखने का आग्रह किया, ताकि इन्हें कथित रूप से हिंदुओं को मारने वालों के खिलाफ हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा सके और यह भी कहा कि अगर ऐसा अवसर सामने आया, तो इन चाकुओं का इस्तेमाल 'लव जिहाद' में शामिल लोगों के सिर काटने के लिए भी किया जा सकता है। इस तरह की कार्रवाई को आत्मरक्षा में माना जाएगा, एक अधिकार जो प्रत्येक व्यक्ति के पास है।"

'गैर-हिंदू के खिलाफ हिंसा की वकालत कर रहीं'

पत्र में कहा गया है, "हालांकि ऐसा लगता है कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने अपने खिलाफ लगाए जा रहे आपराधिक आरोपों से बचने के लिए चतुराई से अपने शब्दों का चयन किया है, लेकिन वह स्पष्ट रूप से गैर-हिंदू समुदायों के खिलाफ नफरत फैला रही हैं और उनके खिलाफ हिंसा की वकालत कर रही हैं।"

उन्होंने पत्र में कहा कि अपने भड़काऊ शब्दों से प्रज्ञा ठाकुर ने न केवल भारतीय दंड संहिता के तहत कई अपराध किए हैं, बल्कि उन्होंने भारत के संविधान को बनाए रखने के लिए संसद सदस्य के रूप में ली गई शपथ का भी जिक्र किया है, जो जीवन और स्वतंत्रता के अधिकारों, धर्म निरपेक्षता, समानता और बंधुत्व पर आधारित है।

खुले पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय विभाग में पूर्व सचिव अनीता अग्निहोत्री, सलाहुद्दीन अहमद, पूर्व मुख्य सचिव (राजस्थान) और केंद्रीय परिवहन मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव के रूप में कार्य कर चुके एस.पी. एम्ब्रोस सहित कई अन्य पूर्व नौकरशाह शामिल हैं।

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