Monday, November 25, 2024
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मध्य प्रदेश में बाढ़ से तबाह हुए इलाके को संवारना बड़ी चुनौती

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि केन्द्र सरकार को अभी एक रिपोर्ट प्रारंभिक सर्वे के बाद भेजी जा रही है। इसके पश्चात बाढ़ से हुई क्षति का विस्तृत प्रतिवेदन भी भेजा जाएगा।

Written by: IANS
Updated on: August 08, 2021 15:00 IST
floods in Madhya Pradesh Big challenge to develop the chambal area again  मध्य प्रदेश में बाढ़ से तब- India TV Hindi
Image Source : HTTPS://TWITTER.COM/JM_SCINDIA मध्य प्रदेश में बाढ़ से तबाह हुए इलाके को संवारना बड़ी चुनौती

भोपाल. मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल इलाके में बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई है। बारिश का दौर थमने से स्थितियां सुधर रही है मगर जो तस्वीर सामने आ रही है वह चिंताजनक है। हजारों परिवार प्रभावित हुए है, उनके आशियाने उजड़ चुके हैं और रोजी-रोटी का संकट गहराया हुआ है। लोगों में गुस्सा है। सरकार ने प्रभावितों की मदद के लिए कोशिशें तेज कर दी हैं। राज्य सरकार पूरी तरह सक्रिय है और टास्क फोर्स भी बनाया गया है। 

ग्वालियर-चंबल इलाके के दतिया, गुना, अशोकनगर, ग्वालियर, मुरैना, भिंड, शिवपुरी और श्योपुर में बाढ़ ने जमकर तबाही मचाई है। सैकड़ों गांव पानी से घिर गए और लोगों केा जान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ा। राहत और बचाव कार्य के लिए सेना की मदद लेना पड़ी, वहीं हेलीकॉप्टर से मुसीबत से घिरे लोगों को सुरक्षित निकाला गया। बाढ़ ने सड़कों केा मिटटी में मिला दिया है तो पुलों को बहा ले गई है। इतना ही नहीं बिजली व्यवस्था अस्त-व्यस्त है। खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है, बड़ी संख्या में मवेशियों की मौत हुई है। इसके अलावा लोगों को जिंदगी को पटरी पर लाना मुश्किल तक नजर आ रहा है।

इन स्थितियों से निपटने के लिए सरकार ने कई फैसले लिए है। जिनके मकान नष्ट हो गये हैं, उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना में राशि दी जाएगी। इसके लिए मनरेगा से कन्वर्जेंस भी किया जाएगा। प्रति आवास इकाई के लिए एक लाख 20 हजार रुपए की व्यवस्था होगी। फिलहाल छह हजार रुपए की एकमुश्त राशि देकर ऐसे नागरिकों को अन्यत्र किराये का मकान लेने या क्षतिग्रस्त मकान को रहने लायक बनाने के लिए सहायता दी जाएगी। जिन परिवारों के किसी सदस्य की असमय मृत्यु हुई है, ऐसे प्रकरण में चार लाख रुपए की सहायता परिवार को प्राप्त होगी। बाढ़ प्रभावित परिवार को 50 किलो अतिरिक्त खाद्यान्न प्रदान किया जायेगा।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के कुछ जिलों में अति वर्षा और बाढ़ ने जिस तरह जन-जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है, अब पुन: व्यवस्थाओं को बनाने का काम एक चुनौती है। यह कार्य जिलों के प्रशासन, राज्य शासन द्वारा गठित टास्क फोर्स और नागरिकों के सहयोग से पूरा करना है। प्रदेश में अतिवृष्टि के कारण बाढ़ की स्थिति निर्मित होने से अधोसंरचना एवं निजी चल-अचल संपत्तियों का बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है। पहली प्राथमिकता बाढ़ से क्षतिग्रस्त मकानों, मलबे के ढेर को साफ करने, स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था, रोग न फैलने देने, विद्युत व्यवस्था ठीक करने और प्रभावित लोगों को अनाज एवं भोजन उपलब्ध कराने की है। इसके लिए सभी संबंधित मंत्री, अधिकारी और सामाजिक संगठन व्यवस्थाएँ सुनिश्चित करें।

टास्क फोर्स में नगरीय प्रशासन, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, लोक निर्माण, जल संसाधन, स्वास्थ्य, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी, ऊर्जा, राजस्व, कृषि और पशुपालन विभाग शामिल किया गया है। यह टास्क फोर्स अधोसंरचना को फिर से खड़ा करने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएँ बनाएगीं। वर्तमान में प्रदेश के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में सेना के तीन हेलीकॉप्टर, एनडीआरएफ के आठ दल और सेना के पांच दल कार्य कर रहे हैं। शनिवार को गुना और अशोकनगर से 198 व्यक्तियों को रेस्क्यू कर बाढ़ की स्थिति से निकाला गया। बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होने के पश्चात करीब 15 हजार नागरिक शिविरों में सुरक्षित किये गये। अब तक करीब 25 हजार मकानों के नुकसान की जानकारी मिली है।

मंत्री भूपेंद्र सिंह ने बताया कि इंदौर से 22 मशीनें श्योपुर कला भेजी गई हैं। मृत मवेशियों को दफनाने के कार्य में भी अमला लगा है। ट्रेक्टर ट्राली की व्यवस्था कर पेयजल व्यवस्था और सफाई व्यवस्था की जा रही है। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा है कि केन्द्र सरकार को अभी एक रिपोर्ट प्रारंभिक सर्वे के बाद भेजी जा रही है। इसके पश्चात बाढ़ से हुई क्षति का विस्तृत प्रतिवेदन भी भेजा जाएगा। नागरिकों को पात्रता के अनुसार अधिकतम सहायता मिले इसके लिए प्रत्येक विभाग को सक्रिय भूमिका के लिए कहा गया है। बाढ़ प्रभावित जिलों में प्रमुख रूप से शिवपुरी, श्योपुर, गुना, दतिया, ग्वालियर, भिंड, मुरैना जिले हैं।

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ ने कहा है, "बाढ़ से भारी नुकसान हुआ है। इस प्रकार की आपदा मैंने कभी नहीं देखी। छोटी सड़क से लेकर बड़ी सड़क ,पुल-पुलिया सब नष्ट हो गये है , बह गए है , हजारों हेक्टेयर फसल नष्ट हो गयी है , आज इसका कैसे आकलन किया जाएगा , सरकार बताए। कई मकान बह गए हैं ,कई मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं , आज लोग बड़ी संख्या में राहत कैंपों में रह रहे हैं , उन्हें वापस कैसे लाया जाएगा यह भी सरकार को बताना चाहिए।" पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने सरकार से मांग की है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के बिजली बिल एक वर्ष के लिये पूरी तरह से माफ किये जाएं। शोमैनशिप ,ड्रामे और दिखावे की राजनीति से कोई फायदा होने वाला नही है ।

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