इंदौर (मध्यप्रदेश): इलाज के दौरान कोविड-19 के मरीजों की अचानक मौत हो जाने की गुत्थी सुलझाने के लिए इंदौर का शासकीय महात्मा गांधी स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय राज्य सरकार से शवों का पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति मांगने जा रहा है। पोस्टमॉर्टम से खासकर यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि मरीजों के एकाएक दम तोड़ने के पीछे उनकी धमनियों में रक्तप्रवाह अवरुद्ध होने का कारक किस हद तक जिम्मेदार है?
महाविद्यालय के डीन संजय दीक्षित ने बृहस्पतिवार को बताया, "फिलहाल हमें कोविड-19 से मरने वालों का पैथालॉजिकल पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति नहीं है। हम यह अनुमति लेने के लिए राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग को प्रस्ताव भेजेंगे।" उन्होंने बताया, "हमने देखा है कि जिले में कोविड-19 के 70 से 80 प्रतिशत मरीज इन्ट्रावैस्क्युलर थ्रॉम्बोसिस से पीड़ित थे। यानी उनके हृदय या फेफड़ों को रक्त पहुंचाने वाली धमनियां थक्का जमने से अवरुद्ध हो गई थीं। इस स्थिति के बाद उनकी अचानक मौत हो गई थी।"
दीक्षित ने बताया कि अगर राज्य सरकार की अनुमति मिलती है, तो कोविड-19 से मरने वालों का शासकीय महाराजा यशवंतराव चिकित्सालय में पोस्टमॉर्टम किया जाएगा। इसके जरिये खासतौर पर यह पता लगाने की कोशिश की जाएगी कि "इन्ट्रावैस्क्युलर थ्रॉम्बोसिस" मरीजों की अचानक मौत के लिए कहां तक जिम्मेदार है और इस घातक स्थिति से चिकित्सकीय तौर पर किस तरह निपटकर उनकी जान बचाई जा सकती है?
महाविद्यालय के डीन ने हालांकि बताया कि प्रदेश सरकार की मंजूरी मिलने के बाद इस तरह के पोस्टमॉर्टम संबंधित परिजनों की सहमति से ही किए जाएंगे। गौरतलब है कि इंदौर, राज्य में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में 24 मार्च से लेकर अब तक इस महामारी के कुल 34,373 मरीज मिले हैं। इनमें से 685 मरीजों की मौत हो चुकी है। हालांकि, करीब 35 लाख की आबादी वाले जिले में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार अब काफी धीमी पड़ चुकी है।