भोपाल: मध्य प्रदेश में कांग्रेस आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा से दो-दो हाथ करने की तैयारी में है। मगर, उसकी राह में अपने ही कांटे बिछाने में पीछे नहीं हैं। पार्टी के नेताओं द्वारा बेवजह के मुद्दों को तूल दिए जाने से पार्टी के सामने ही मुसीबतें खड़ी हो रही हैं। राज्य में इसी साल के अंत तक विधानसभा के चुनाव तय हैं। यह चुनाव कशमकश भरे रहने वाले हैं। इस बात को भाजपा और कांग्रेस दोनों ही बेहतर तरह से समझ रहे हैं। यही कारण है कि तमाम बड़े नेता सोची-समझी रणनीति पर काम कर रहे हैं।
कांग्रेस लगातार जनता के मुद्दों को उठाकर भाजपा को घेरने की कोशिश कर रही है। मगर, बीच-बीच में आने वाले पार्टी नेताओं के बयान सवाल खड़े कर देने वाले हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अभी हाल ही में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के द्वितीय सरसंघचालक माधव सदा शिवराव गोलवलकर को लेकर एक साथ कई ट्वीट कर डालें। इसके बाद न केवल भाजपा हमलावर हुई बल्कि दिग्विजय सिंह के खिलाफ कई थानों में प्रकरण भी दर्ज कराए गए।
एक तरफ जहां दिग्विजय सिंह के ट्वीट चर्चाओं में हैं तो दूसरी ओर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह भी सुर्खियों में बने हुए हैं क्योंकि उन्होंने रावतपुरा सरकार के मुख्य महंत रविशंकर पर जमीनों पर अवैध कब्जे करने के आरोप लगाए हैं। उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि रविशंकर ने कई स्थानों पर कब्जा कर आश्रम भी बनाए। चुनाव करीब आने वाले हैं, बाबा के लोग गांव-गांव में घूम रहे हैं, खाना खा रहे हैं फिर कहेंगे कांग्रेस को हराओ और भाजपा को जिताओ, भाजपा के साथ मिलकर कांग्रेस के खिलाफ षड्यंत्र कर रहे हैं।
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इन दोनों नेताओं के बयानों के बाद कांग्रेस के ही कई नेताओं की चिंता बढ़ गई है। वह सवाल भी कर रहे हैं कि आखिर क्या वजह है कि इस चुनाव के मौसम में जिन मुद्दों की चर्चा करने की जरूरत नहीं है, उन्हें हवा दी जा रही है? नाम नहीं छापने की शर्त पर एक कांग्रेस नेता ने तो यहां तक कहा है कि इस तरह के बयान जहां कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने का काम करते हैं, वहीं भाजपा को लाभ होता है क्योंकि भाजपा को ध्रुवीकरण का अवसर मिल जाता है।
एक तरफ गोविंद सिंह रावतपुरा सरकार के महंत रविशंकर पर हमले बोल रहे हैं। वहीं, कांग्रेस के तमाम बड़े नेता उनके दरबार में जाते हैं। यह स्थितियां कांग्रेस के लिए अच्छी नहीं है।
(इनपुट- IANS)