भोपाल: राजस्थान के सियासी घमासान के बीच पड़ोसी मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस के लिए संकट बढ़ता जा रहा है। 15 सालों के बाद बड़ी मुश्किल से मिली सत्ता तो डेढ़ साल के कार्यकाल के बाद ही गिर गई थी। मार्च में 22 विधायकों के कांग्रेस छोड़ने के बाद अब फिर से कांग्रेस के विधायकों का पार्टी छोड़ना शुरू हो गया है। अब दो विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया है। कांग्रेस ने इसके पीछे बीजेपी को ज़िम्मेदार बताया है। वहीं, बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस में दम घुटने के कारण ही उनके विधायक पार्टी छोड़ रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक भाजपा के मंत्री गोविंद सिंह राजपूत का दावा है कि अभी और विधायक कतार में हैं।
सिंधिया समर्थक मंत्री गोविंद सिंह राजपूत ने कहा है कि अभी तीन कांग्रेस के विधायक इसके बाद ओर पाइप लाइन में हैं। ये बयान देने वाले गोविंद सिंह राजपूत खुद कुछ महीने पहले तक कांग्रेस में थे। 10 मार्च को सिंधिया समर्थक गोविंद सिंह राजपूत ने 21 अन्य विधायकों के साथ विधायकी से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद कमलनाथ सरकार गिर गयी थी। कमोबेश यही स्थिति इन दिनों पड़ोसी राज्य राजस्थान की बनी हुई है, जहां कांग्रेस के युवा नेता और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के समर्थक विधायकों ने कांग्रेस की नाक में दम कर रखा है।
देशभर की नजरें बीते करीब एक हफ्ते से राजस्थान के सियासी उठापटक पर लगी हुई हैं लेकिन राजस्थान में उठे सियासी बवंडर के बीच मध्य प्रदेश में कांग्रेस को झटके पर झटका लग रहा है। यहां बीते एक हफ्ते में कांग्रेस के दो और विधायकों ने इस्तीफा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया है। 12 जुलाई को बड़ा मलहरा सीट से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न लोधी ने विधायकी से इस्तीफा दे दिया और बीजेपी जॉइन कर ली। वहीं, 17 जुलाई को नेपानगर सीट से कांग्रेस विधायक सावित्री देवी ने विधायकी से इस्तीफा दिया और फिर बीजेपी की सदस्यता ले ली।
हैरानी की बात ये है कि महज एक हफ्ते पहले तक दोनों विधायक संतुष्ट थे लेकिन राजस्थान में हुई सियासी उठापटक के बीच अचानक से दोनों ने पाला बदल लिया और बहाना बनाया क्षेत्र के विकास का। दरअसल, कांग्रेस से विधायकों का मोहभंग होना मार्च से शुरू हुआ, जब एक साथ 22 विधायकों ने सामुहिक इस्तीफा दे दिया। इनमें से ज्यादातर विधायक सिंधिया समर्थक थे। इस घटना ने इतना बड़ा सियासी तूफान खड़ा किया कि उसमें कमलनाथ सरकार ही उड़ गई।
आंकड़े
- MP में विधानसभा सदस्य की कुल सीट- 230
- बहुमत के लिए सीट- 116
- भाजपा के पास सीट- 107
- कांग्रेस के पास सीट- 90
- निर्दलीय विधायक- 4
- बसपा के पास सीट- 1
- सपा के पास सीट- 1
- 10 मार्च को 22 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दिया
- 12 और 17 जुलाई को कांग्रेस को दो विधायकों ने इस्तीफा दिया
- दो विधायकों का निधन हो गया
- 26 सीटों पर होंगे उपचुनाव
लगातार अपने विधायकों के भाजपा में जाने से कांग्रेस परेशान भी है और आगबबूला भी है। कांग्रेस ने इसके पीछे बीजेपी को ज़िम्मेदार बताया है। कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने भाजपा की तुलना कोरोना वायरस से करते हुए कहा है कि कांग्रेस के पास भाजपा के इस वायरस का वैक्सीन से इलाज करने का माद्दा है और उपचुनाव में ये दिख जाएगा। हालांकि, बीजेपी ने कांग्रेस के आरोपों को बेबुनियाद बताया।
मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि जब आलाकमान ही पार्टी को संभालने में नाकाम है तो फिर विधायक पार्टी में खुद को फिट नहीं बैठा पा रहे। इसलिए नाराज़ होकर पार्टी छोड़ रहे हैं। आपको बता दें कि मार्च से लेकर अबतक कांग्रेस के 24 विधायक इस्तीफ़ा दे चुके हैं और 2 विधायकों का निधन हो चुका है। ऐसे में 26 सीटों पर उपचुनाव तो तय है।