भोपाल: मध्य प्रदेश में सत्ता में वापसी के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही कांग्रेस को राज्य के उन 21 विधानसभा क्षेत्रों में लाभ मिलने की आशा है जहां से पिछले साल उसके नेता राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ गुजरी थी। पार्टी राज्य में पिछले विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता में आई थी लेकिन वह बीच में ही अपनी सरकार गंवा बैठी। इस साल मई में कांग्रेस ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अपनी जीत के लिए ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की तारीफ की थी। इस यात्रा के दौरान गांधी कर्नाटक में जिन 20 विधानसभा क्षेत्रों से गुजरे थे उनमें से 15 में पार्टी चुनाव में विजयी रही। अब कांग्रेस को मध्य प्रदेश में ऐसा ही परिणाम मिलने की उम्मीद है। राज्य में 17 नवंबर को एक ही चरण में सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतदान होगा।
राहुल ने की थी 380 किलोमीटर की पदयात्रा
पिछले महीने कांग्रेस ने करगिल में लद्दाख स्वायत्त पर्वतीय विकास परिषद के चुनाव में बहुमत हासिल किया था और पार्टी ने कहा था कि यह गांधी की पदयात्रा का सीधा असर है। भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश चरण में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष गांधी ने मालवा-निमाड़ क्षेत्र के छह जिलों- बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, इंदौर, उज्जैन और आगर मालवा के 21 विधानसभा क्षेत्रों में 380 किलोमीटर की पदयात्रा की थी। पार्टी नेताओं में ऐसी भावना थी कि यह यात्रा कार्यकर्ताओं में नया उत्साह पैदा करेगी और प्रदेश इकाई में नई ऊर्जा भरेगी जिसके फलस्वरूप पार्टी 2023 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए तैयार होगी। निवर्तमान विधानसभा में भाजपा के पास मध्य प्रदेश में इस यात्रा मार्ग में पड़ने वाली 21 सीटों में से 14 सीटें हैं जबकि कांग्रेस के पास सात सीट हैं।
कांग्रेस की सीटों की संख्या में होगी बढ़ोतरी?
मालवा-निमाड़ क्षेत्र से आने वाले पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरूण यादव ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से निश्चित ही फर्क पड़ेगा और पार्टी की सीटों की संख्या में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा, ‘‘ राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद न केवल मध्य प्रदेश में बल्कि अन्य राज्यों में भी बड़ी संख्या में युवा मतदाता कांग्रेस के प्रति आकर्षित हुए हैं।’’ पूर्व केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा कि पदयात्रा ने मध्य प्रदेश में स्थायी असर डाला और कांग्रेस उम्मीदवार उन सभी छह जिलों में लाभान्वित होंगे जहां से यह यात्रा गुजरी थी। हालांकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी कन्याकुमारी से कश्मीर तक हुई इस पदयात्रा का मध्य प्रदेश चुनाव पर कोई प्रभाव पड़ने से इनकार कर रही है। प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने दावा किया कि चुनाव परिणाम पर यात्रा का कोई असर नहीं होगा क्योंकि जो लोग देश को तोड़ना चाहते थे और जो सनातन धर्म के विरूद्ध बोलते थे वे ही गांधी के साथ चल रहे थे।
बुरहानपुर में मुकाबला दिलचस्प
महाराष्ट्र से पिछले साल 23 नवंबर को मध्य प्रदेश में प्रवेश करने के बाद गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ बुरहानपुर जिले के बुरहानपुर और नेपानगर विधानसभा क्षेत्रों में पहुंची थी। वर्ष 2018 में निर्दलीय प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह शेरा ने बुरहानपुर सीट जीती थी जो अब इस निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। नेपानगर सीट 2018 में कांग्रेस उम्मीदवार सुमित्रा कासडेकर ने जीती थी लेकिन बाद में उन्होंने पाला बदल लिया। वह 2020 के उपचुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतीं। बुरहानपुर में मुकाबला दिलचस्प है। यहां भाजपा ने पूर्व विधायक मंजू दादू को मैदान में उतारा है, जिन्हें पार्टी के बागी और पूर्व राज्य भाजपा अध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान के बेटे हर्षवर्धन सिंह चौहान से कड़ी चुनौती मिल रही है। राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ बाद में खंडवा जिले की मान्धाता और पंधाना सीटों में पहुंची। पिछले चुनाव में पंधाना में भाजपा के राम दांगोरे जीते थे, जबकि मान्धाता में कांग्रेस के नारायण पटेल विजयी हुए थे। फिर पटेल ने पाला बदल लिया और 2020 में भाजपा के टिकट पर उपचुनाव में यह सीट जीती। वह फिर से मैदान में हैं।
17 नवंबर को एक ही चरण मतदान
खंडवा से, ‘भारत जोड़ो यात्रा’ खरगोन जिले में पहुंची और बड़वाह और भीकनगांव विधानसभा सीटों से होकर गुजरी। ये दोनों सीटें 2018 में कांग्रेस ने जीती थीं। बड़वाह के विधायक सचिन बिड़ला बाद में भाजपा में शामिल हो गए और भगवा पार्टी ने उन्हें फिर से मैदान में उतारा है। राहुल की पद यात्रा का अगला पड़ाव इंदौर था, जहां महू से शुरू होकर इसने जिले की सभी आठ सीटों को कवर किया। मध्य प्रदेश ने पिछले पांच वर्षों में कांग्रेस सरकार के बाद भाजपा शासन देखा है। राज्य में 17 नवंबर को एक ही चरण में सभी 230 विधानसभा क्षेत्रों के लिए मतदान होगा। वोटों की गिनती तीन दिसंबर को होगी। (इनपुट- भाषा)
यह भी पढ़ें-