Friday, November 15, 2024
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MP News: नामीबिया से आज उड़ान भरेंगे चीते, खास विमान से कल पहुंचेंगे ग्वालियर, इसी दिन कुनो में छोड़ेंगे पीएम मोदी, जानें डिटेल

MP News: विमान को बाहर से ही नहीं, बल्कि अंदर से भी चीतों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। ताकि उनमें पिंजरों को आसानी से रखा जा सके। खास बात यह है कि इन चीतों को विमान से लाने के दौरान भूखा रखा जाएगा।

Written By: Deepak Vyas @deepakvyas9826
Updated on: September 16, 2022 12:19 IST
Special Flight from Namibia- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Special Flight from Namibia

Highlights

  • विमान से 16 घंटे की उड़ान भरकर नामीबिया से ग्वालियर पहुंचेंगे चीते
  • शिकार के लिए बाड़े में चीतल छोड़े गए
  • शिकार के लिए बाड़े में चीतल छोड़े गए

MP News: अफ्रीकी देश नामीबिया से चीतों को लाने की खबर सुर्खियों में है। इन चीतों को लाने के लिए उलटी गिनती चालू हो गई है। करीब 70 साल बाद भारत की सरजमी पर चीतों की आमद होगी। इन चीतों को लाने के लिए खास जंबो जेट बी 747 नामीबिया की राजधानी विंडहोक पहुंच चुका है। इस विमान को चीते की शक्ल की तरह ही डिजाइन किया गया है। विमान को बाहर से ही नहीं, बल्कि अंदर से भी चीतों के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। ताकि उनमें पिंजरों को आसानी से रखा जा सके। खास बात यह है कि इन चीतों को विमान से लाने के दौरान भूखा रखा जाएगा। इसके पीछे यह एक्सपर्ट्स द्वारा तर्क दिया जा रहा कि जिस तरह विमान में लोगों को उल्टी की समस्या होती है, ऐसी ही इन जानवरों को भी हो सकती है। इसलिए इन्हें भूखा ही लाया जाएगा और भारत की सरजमीं पर पहुंचने के बाद इन्हें खाना दिया जाएगा। ताकि विमान में इन्हें कोई दिक्कत न हो। 

विमान से 16 घंटे की उड़ान भरकर नामीबिया से ग्वालियर पहुंचेंगे चीते

17 सितंबर को यह विमान 16 घंटे की उड़ान भरकर नामीबिया से सीधे ग्वालियर उतरेगा। इसी दिन पीएम नरेंद्र मोदी इसे क्रूनो पार्क में छोड़ेंगे। पिंजरों के बीच इतनी जगह होगी कि उड़ान के दौरान पशु चिकित्सक आसानी से चीतों पर नजर रख सकें। चीतों को खाली पेट भारत लाया जाएगा। एक्सपर्ट के मुताबिक शिफ्टिंग के दौरान जानवर का पेट खाली होना चाहिए। विमान में चीतों के लिए विशेष पिंजरे और उन्हें रखने की जगह के साथ ही विन विभाग के विशेषज्ञ और चिकित्सकों की टीम भी विमान में मौजूद रहेगी। चीतों को लेकर कूनो नेशनल पार्क में तैयारी पूरी हो चुकी है। चीतों के आने के बाद उन्हें एक बाड़े में रखकर तीस दिनों तक क्वारैंटाइन किया जाएगा। इस दौरान उनके व्यवहारए सेहत व अनुकूलन पर पूरी तरह से नजर रखी जाएगी कि वे यहां के माहौल में खुद को कैसे एडजस्ट कर रहे हैं।

विमान का फ्लैग म्यूजियम में रखा जाएगा

चीता प्रोजेक्ट में एविएशन सेक्टर से जुड़ी कंपनी ने इस फ्लाइट को स्पेशल फ्लैग नंबर 118 दिया है। फ्लाइट के बाद कंपनी इस फ्लैग को अपने म्यूजियम में रखेगी। दुनिया में पहली बार चीतों को शिफ्ट करने के लिए स्पेशल फ्लाइट ऑपरेट हो रही है। इसलिए यह उनके लिए ऐतिहासिक अवसर है। यही कारण है कि याद के बतौर इस विमान का फ्लैग म्यूजियम में रखा जाएगा। 

आज रात 8 बजे विमान ग्वालियर के लिए भरेगा उड़ान

नामीबिया से चीतों की खेप आने को लेकर देशभर में उत्सुकता है। इन चीतों को लेकर नामीबिया से आज यानी शुक्रवार सुबह 8 बजे यह विमान उड़ेगा, जो मध्यप्रदेश के शहर ग्वालियर में उतरेगा। नामीबिया में चीतों की निगरानी कर रहे दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया विश्वविद्यालय में प्रो. एड्रियन ट्रोडिफ ने बताया कि भारत आने वाले 8 चीते फिलहाल सीसीएफ सर्किल ‘वन संरक्षित क्षेत्र‘ में हैं। इनमें 5 मादा और 3 नर हैं। दो सगे भाई हैं। इन्हें यहां से शुक्रवार सुबह 9.30 बजे एयरपोर्ट ले जाया जाएगा। एयरपोर्ट तक पहुंचने में 4 से 5 घंटे लगेंगे। चीतों को लेकर विमान शाम 4.30 बजे यानी भारतीय समयानुसार रात 8 बजे ग्वालियर के लिए उड़ान भरेगा। शनिवार को ग्वालियर से इन्हें हेलिकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क में लाया जाएगा। चीतों को सही सलामत पहुंचाने के लिए नामीबिया के वेटरनरी डॉक्टर एना बस्टो विमान में साथ आ रहे हैं।

शिकार के लिए बाड़े में चीतल छोड़े गए

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक भूखे पेट विमान से लाने के बाद इन्हें कुनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में पहुंचने पर खाना दिया जाएगा। दरअसल, यात्रा शुरू करते समय जानवर का पेट खाली होना चाहिए। हालांकि चीते रोज खाना नहीं खाते हैं। इस कारण से उन्हें लाने में कोई परेशानी नहीं होगी। कुनो पहुंचने के बाद भूख लगने पर वे एक या दो दिन के भीतर शिकार कर सकते हैं। इसलिए छोटे बाड़े में चीतल छोड़े गए हैं। अगर चीते शिकार नहीं करते हैं तो उन्हें भैंस या बकरी का मांस दिया जाएगा।

चीतों की उम्र ढाई से साढ़े पांच साल

कूनो लाए जा रहे चीतों की उम्र ढाई से साढ़े पांच साल के बीच है। इनमें दो सगे भाई हैं। ये अभी नामीबिया के एक प्राइवेट रिजर्व में रखे गए हैं। नामीबिया से आने वाली मादा चीतों को कुछ साल पहले जंगल में छोड़ा गया था। आमतौर पर चीते की औसत उम्र 12 साल होती है।

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