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Cheetah in Kuno: सात दशकों के बाद देश में लौटे चीते, इससे स्थानीय निवासी खुश लेकिन कुछ वजहों से डरे हुए भी हैं लोग

Cheetah in Kuno: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को शनिवार सुबह केएनपी में बनाए गए विशेष बाड़ों में छोड़ा। भारत में 1952 में चीते विलुप्त हो गए थे, इसलिए भारत में उन्हें बसाने के लिए प्रोजेक्ट चीता के तहत ये चीते यहां लाए गए हैं।

Written By: Sudhanshu Gaur @SudhanshuGaur24
Published : Sep 18, 2022 14:32 IST, Updated : Sep 18, 2022 15:11 IST
Cheetah in Kuno
Image Source : INDIA TV Cheetah in Kuno

Highlights

  • नामीबिया से लाए गए चीते पार्क में छोड़े गए
  • लोगों को है आजीविका छिनने का डर - ग्रामीण
  • होटल और ढाबों का कारोबार ‘अमीर बाहरी लोग’ चलाएंगे - ग्रामीण

Cheetah in Kuno: मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में चीतों के आने के उत्साह के बीच आसपास के इलाकों में रह रहे ग्रामीणों के मन में उनकी भूमि के अधिग्रहण का डर और चीतों द्वारा उन पर हमला किए जाने की आशंका समेत कई तरह की चिंताएं हैं। हालांकि कुछ ग्रामीणों को उम्मीद है कि चीते आने से केएनपी के प्रसिद्ध होने के बाद वहां पर्यटकों की संख्या में वृद्धि से रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे।

नामीबिया से लाए गए चीते पार्क में छोड़े गए

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य नेताओं ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को शनिवार सुबह केएनपी में बनाए गए विशेष बाड़ों में छोड़ा। भारत में 1952 में चीते विलुप्त हो गए थे, इसलिए भारत में उन्हें बसाने के लिए प्रोजेक्ट चीता के तहत ये चीते यहां लाए गए हैं। श्योपुर-शिवपुरी रोड पर चाय का ठेला लगाने वाले एक ब्यक्ति ने बताया कि, ‘‘जब बाकी चार-पांच गांवों के लोगों को केएनपी के लिए स्थानांतरित कर दिया जाएगा तो मेरी जलपान की छोटे सी दुकान का क्या होगा? पिछले 15 वर्षों में केएनपी के लिए 25 गांवों के लोगों को स्थानांतरित किए जाने के कारण हम पहले ही वित्तीय रूप से प्रभावित हैं।’’ 

Cheetah in Kuno

Image Source : PTI
Cheetah in Kuno

लोगों को है आजीविका छिनने का डर 

वहीं एक अन्य किसान रामकुमार गुर्जर को आशंका है कि पास की बांध परियोजना के कारण सेसाईपुरा के लोगों की आजीविका छिन जाएगी। गुर्जर ने कहा, ‘‘गांवों के लोगों को पहले इस उद्यान के लिए स्थानांतरित कर दिया गया था। अब पास के कटिला क्षेत्र में कूनो नदी पर बांध परियोजना पर काम जारी है। यह परियोजना उन कम से कम 50 गांवों को प्रभावित करेगी, जो सेसाईपुरा से जुड़े हुए हैं। उन गांवों के लोगों को दूसरे स्थानों पर बसाने के बाद सेसाईपुरा में किराने, कपड़े और अन्य छोटे व्यवसाय वाली दुकानों का क्या होगा। तब हमारा गांव यहां अकेला रह जाएगा।’’

होटल और ढाबों का कारोबार ‘अमीर बाहरी लोग’ चलाएंगे - ग्रामीण 

चीतों के कारण अधिक पर्यटकों के आने की उम्मीद के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने दावा किया कि होटल और ढाबों का कारोबार ‘अमीर बाहरी लोग’ चलाएंगे और स्थानीय निवासियों को होटल एवं रेस्तरां में केवल छोटी-मोटी नौकरियां मिलेंगी। एक अन्य स्थानीय निवासी संतोष गुर्जर ने कहा कि गांवों को कहीं और बसाए जाने के कारण किराने का सामान, उर्वरक एवं बीज बेचने वाले एक स्थानीय दुकानदार को कारोबार नहीं होने के कारण शिवपुरी जाना पड़ा। कपड़ों की दुकान चलाने वाले धर्मेंद्र कुमार ओझा ने आशंका जताई कि चीते गांवों में घुस सकते हैं। ओझा ने कहा, ‘‘स्थानीय लोगों को इस परियोजना से क्या मिलेगा? बाहरी लोग होटल एवं रेस्तरां के लिए जमीन खरीद रहे हैं। गांवों को अन्य स्थानों पर बसाने से कारोबार और प्रभावित होगा, लेकिन परियोजना के कारण बुनियादी ढांचा विकसित होगा।’’ 

Kuno National park

Image Source : PTI
Kuno National park

चीता परियोजना से इलाके में रोजगार बढ़ेगाा - ग्रामीण 

राष्ट्रीय उद्यान की ओर जाने वाली सड़क पर चाय की दुकान चलाने वाले सूरत सिंह यादव का मानना है कि इस चीता परियोजना से इलाके में रोजगार बढ़ेगाा। यादव ने कहा, ‘‘जमीन की कीमत बढ़ रही है। जिनके पास जमीन का कानूनी हक है, वे ज्यादा दाम मांग रहे हैं। प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से कारोबार में अस्थायी बढ़ोतरी हुई है, लेकिन भविष्य के बारे में कुछ नहीं कह सकता।’’ एक अन्य दुकानदार केशव शर्मा ने दावा किया कि उनका कारोबार तीन गुना बढ़ गया है। उन्होंने कहा, ‘‘जमीन की कीमतें बढ़ गई हैं। पहले पर्यटक यहां कम संख्या में आते थे, लेकिन अब उनकी संख्या निश्चित रूप से बढ़ेगी।’’ केएनपी के प्रवेश द्वार से दो किलोमीटर दूर स्थित टिकटोली गांव के निवासी एवं श्रमिक कैलाश भविष्य को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं लाभ के बारे में नहीं जानता, लेकिन चीतों के आने से मैं डरा हुआ हूं। हम कहां जाएंगे?

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