छतरपुर: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के एक गांव में डायरिया से नाबालिग भाई-बहन की मौत हो गई। यह दुखद घटना सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति का आकलन करने के लिए डॉक्टरों की टीम वहां भेजी। एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर बमीठा थाना क्षेत्र के गंगवाहा गांव में जल जनित बीमारी के कारण 11 और 5 साल के दो बच्चों की मौत हो गई।
‘कुछ दिन पहले बाजार से मछली लाकर खाई थी’
मुख्य चिकित्सा स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) आरपी गुप्ता ने बताया, ‘2 बच्चों की मौत की सूचना मिलने के बाद डॉक्टरों की टीम ने सोमवार को गांव का दौरा किया। शुरुआती जानकारी से पता चला है कि ग्रामीण कुएं के पानी का इस्तेमाल करते हैं, जो दूषित हो सकता है। ग्रामीणों को उस कुएं का पानी नहीं पीने की सलाह दी गई है। कुएं और पानी के अन्य स्थानीय स्रोतों में ब्लीचिंग पाउडर मिलाया गया है।’ गुप्ता के मुताबिक, मृतक भाई-बहन के परिजनों ने बताया कि उन्होंने कुछ दिन पहले बाजार से मछली लाकर खाई थी।
‘सरकारी अस्पताल बंद था, प्राइवेट में नहीं बची जान’
गुप्ता ने बताया कि सोमवार को डायरिया के 4 मामले सामने आए, जिनमें से 3 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उन्होंने बताया कि मेडिकल टीम गांव में रहेगी और लोगों का इलाज करेगी। रमेश आदिवासी ने बताया कि वह अपने बच्चों 11 साल के अरविंद और 5 साल की रोशनी को रविवार शाम बमीठा स्वास्थ्य केंद्र लेकर गया था, क्योंकि वे उल्टी और दस्त से पीड़ित थे। उसने बताया कि अस्पताल बंद था, इसलिए बच्चों को निजी अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। रमेश ने कहा कि गांव के लोग कुएं का पानी पीते हैं, लेकिन बताया जाता है कि इसका पानी दूषित है।
मध्य प्रदेश में डायरिया से पहले भी हुई हैं कई मौतें
मध्य प्रदेश के कुछ अन्य हिस्सों में पहले भी डायरिया के कारण कई लोगों की मौत की खबर आई है। आदिवासी बहुल मंडला जिले में हाल के दिनों में डायरिया और जल जनित बीमारियों के कारण 5 महिलाओं और एक बच्चे समेत 7 लोगों की मौत हो गई और 150 लोग बीमार हो गए। इसके अलावा, उमरिया जिले के 2 गांवों में पिता-पुत्र समेत 3 लोगों की डायरिया से मौत हो गई और 6 अन्य लोग इससे संक्रमित पाए गए। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सुरक्षित पेयजल और पर्याप्त साफ-सफाई के माध्यम से डायरिया की रोकथाम की जा सकती है।