एमपी अजब है और एमपी कांग्रेस का अपने मुख्यमंत्री को जन्मदिन की शुभकामनाएं देने का तरीका उतना ही गजब है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ जब सोमवार को अपने 73 वें जन्मदिन पर सुबह उठे होंगे, तो उन्हें अपनी पार्टी की ओर से शुभकामनाओं की उम्मीद जरूर रही होगी। कांग्रेस ने भी उनकी उम्मीद के मुताबिक अखबारों में शुभकामनाओं के साथ विज्ञापन दिया, लेकिन उसमें जो लिखा था उसकी उम्मीद उन्हें कतई नहीं होगी। दरअसल मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने कमलनाथ के जन्मदिन के विज्ञापन में उन बातों का जिक्र किया है जो अमूमन किसी के जन्मदिन पर नहीं की जाती है। यहां न सिर्फ कमलनाथ की राजनीतिक असफलताओं का जिक्र है वहीं कुछ ऐसी विवादित बातें भी की गई हैं जो राजनीतिक भूचाल भी ला सकती हैं।
कमलनाथ के 73 वें जन्मदिन पर मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा अखबारों में दिए गए विज्ञापन से अब खुद ही कांग्रेस सवालों के घेरे में आ गई है। हर अख़बार को दिए फुल पेज इस विज्ञापन में कमलनाथ के बारे में कुछ अहम बातें बताई गई हैं। इस विज्ञापन में कांग्रेस कमेटी ने यह बताया है कि कैसे भाजपा के दिग्गज नेता सुंदरलाल पटवा से उन्हें चुनाव में पटखनी मिली थी।
वही 1993 में उनके मुख्यमंत्री ना बन पाने की वजह अर्जुन सिंह को बताया गया। क्योंकि अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया था। जिसके कारण वह मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे वही आपातकाल के दौरान मुख्यमंत्री कमलनाथ के द्वारा एक जज से की गई लड़ाई का भी जिक्र किया गया है। जिसके चलते उन्हें 7 दिन के लिए तिहाड़ जेल जाना पड़ा था। जाहिर है एक मुख्यमंत्री के न्यायपालिका के जज लड़ाई की बात विज्ञापन में करना विवादों को जन्म देता है।
इस विवादित विज्ञापन पर बीजेपी जमकर चुटकी लेते नजर आए। बीजेपी के पूर्व मंत्री डॉक्टर नरोत्तम मिश्रा ने इसे कांग्रेस की आपसी गुटबाजी करार देते हुए कहा कि कांग्रेस को यह बताना चाहिए कि यह विज्ञापन किस गुट ने जारी किया। उनके मुताबिक यह गुटबाजी ही थी जिसके चलते बजाय उनके बारे में अच्छा विज्ञापन जारी करने की उनके बारे में गलत चीजें पेश की गई।
वही प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और विधायक कांतिलाल भूरिया ने विज्ञापन को भाजपा की साजिश बताया है।
विवादित विज्ञापन में लिखा है
- छिंदवाड़ा से कमलनाथ को 1996 में हार का भी सामना करना पड़ा था उस समय उन्हें सुंदरलाल पटवा ने चुनाव मैदान में पटखनी दी थी।
- कमलनाथ जानबूझकर एक जज से लड़ पड़े और जज ने उन्हें 7 दिन के लिए तिहाड़ भेज दिया।
- 1993 में भी कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने की चर्चा थी बताया जाता है कि तब अर्जुन सिंह ने दिग्विजय सिंह का नाम आगे कर दिया। इस तरह कमलनाथ उस समय सीएम बनने से चूक गए थे।अब 25 साल बाद दिग्विजय सिंह के समर्थन के बाद उन्हें मुख्यमंत्री बनने का मौका मिला