दरअसल ये छात्र विश्वविद्यालय के 2 अनुबंधित प्रोफेसरों के सोशल मीडिया पर सवर्ण विरोधी जातिगत भेदभाव वाली टिप्पणी करने के विरोध कर रहे थे। इस पर कदम उठाते हुए प्रदर्शन और हंगामा करने वाले 23 छात्र छात्राओं को विश्वविद्यालय प्रशासन ने निष्कासित कर दिया है। छात्रों के निष्कासन पर अब पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने इसे विश्वविद्यालय की मनमानी कार्यवाही करार दिया है।
इससे पहले मंगलवार को 10 सदस्यों की अनुशासन समिति ने इन 23 छात्रों को अनुशासनहीनता का दोषी पाया है। लेकिन छात्रों का आरोप है कि निष्कासित किए गए छात्र छात्राओं को समिति ने पक्ष रखने का मौका नहीं दिया। निष्कासन अवधि के दौरान यह सभी कक्षाओं प्रायोगिक परीक्षा 30 दिसंबर से शुरू होने वाली सैद्धांतिक परीक्षाओं में भी शामिल नहीं हो सकेंगे।
क्या है मामला
दरअसल 12 दिसंबर को माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्रों ने कुलपति कार्यालय के सामने विश्वविद्यालय के अनुबंधित अतिथि प्रोफेसर दिलीप मंडल और मुकेश कुमार द्वारा सोशल मीडिया पर सवर्णों के खिलाफ कथित आपत्तिजनक टिप्पणी के चलते विरोध प्रदर्शन किया था। बताया जा रहा है इसी दौरान कुलपति कार्यालय के सामने तोड़फोड़ भी हुई थी। इसके बाद कुलपति ने 11 छात्रों के खिलाफ थाने में मामला दर्ज कराया था।
बता दें कि दोनों प्रोफेसरों के खिलाफ जांच भी शुरू की गई जांच अभी चल रही है। लेकिन 10 सदस्य कार्यवाही ने 23 स्टूडेंट्स पर कार्रवाई की अनुशंसा भी कर दी। रजिस्ट्रार ने मंगलवार शाम सभी को बर्खास्त कर दिया।
शिवराज ने की निष्कासन वापस लेने की मांग
छात्रों के निष्कासन पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट कर निष्कासन तुरंत वापस लेने को कहा।शिवराज सिंह चौहान ने विश्वविद्यालय की कार्रवाई पर सवाल खड़े करते हुए लिखा यह कार्रवाई बच्चों की आवाज दबाने व लोकतंत्र को कुचलने का प्रयास है छात्रों को निष्कासित कर उनके भविष्य को तबाह करने के षड्यंत्र को हम कामयाब नहीं होने देंगे। छात्रों की सभी जायज मांगे मानी जाएं और उनका निष्कासन तुरंत वापस लिया जाए।