Wednesday, November 20, 2024
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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 10 हाथियों की मौत पर बवाल, कांग्रेस बोली- 'न बेटियां सुरक्षित न हाथी, चल रहा जंगलराज'

एसटीएसएफ ने डॉग स्क्वॉड के साथ घटनास्थल से 5 किमी के दायरे के इलाके में छानबीन की है। डॉग स्क्वायड की मदद से 7 खेतों और 7 घरों की ली तलाशी ली गई है और 5 लोगों से पूछताछ की गई है। पोस्टमार्टम के आधार पर, पशु चिकित्सकों ने संकेत दिया कि मौत का कारण कोदो से जुड़े संदिग्ध माइकोटॉक्सिन हो सकते हैं।

Reported By : Anurag Amitabh Edited By : Shakti Singh Published on: November 01, 2024 14:48 IST
bandjavgarha tiger reserve- India TV Hindi
Image Source : PTI हाथियों की मौत के बाद जांच में जुटे अधिकारी

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में 72 घंटे के अंदर 10 हाथियों की मौत से बवाल मचा हुआ है। यहां एक झुंड के 13 में से 10 हाथियों की मौत हो चुकी है। इसके बाद पूरे मामले की जांच शुरू हो गई है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि प्रदेश में बेटियों से लेकर हाथी तक कुछ भी सुरक्षित नहीं है। यहां जंगलराज चल रहा है। इस बीच वन विभाग और विशेषज्ञों की टीम हाथियों की मौत का कारण जानने में जुटी हुई है। मौत के बाद हाथियों का पोस्टमार्टम हो चुका है और उन्हें दफनाया जा चुका है। सभी हाथियों के सैंपल लिए गए हैं और उन्हें हिस्टोपैथोलॉजिकल, टॉक्सिकोलॉजिकल और फोरेंसिक लैब में विश्लेषण के लिए भेजा गया, जिसके जरिए मौत की वजह का पता लगाया जा सकेगा।

एसटीएसएफ ने डॉग स्क्वॉड के साथ घटनास्थल से 5 किमी के दायरे के इलाके में छानबीन की है। डॉग स्क्वायड की मदद से 7 खेतों और 7 घरों की ली तलाशी ली गई है और 5 लोगों से पूछताछ की गई है। पोस्टमार्टम के आधार पर, पशु चिकित्सकों ने संकेत दिया कि मौत का कारण कोदो से जुड़े संदिग्ध माइकोटॉक्सिन हो सकते हैं।  

मंत्री का बयान

सरकार के मंत्री ने इंडिया टीवी से कहा "जांच का विषय है, जांच के लिए विशेषज्ञ कमेटी की जांच समिति बना दी है। आगे भी हाथियों का संरक्षण हो इसके लिए व्यवस्था की जा रही है। शिकार के बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता जांच के विषय है। कांग्रेस को हर मुद्दे पर राजनीति करने की आदत है। वाइल्डलाइफ की सुरक्षा के प्रति हमारी सरकार कटिबंध है।"

कांग्रेस का आरोप

कांग्रेस ने कहा हाथियों की मौत बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। नवरात्रियों के दौरान बच्चियों के साथ रेप हो रहा था, जब दिवाली चल रही है गणेश के प्रतीक हाथियों की जान जा रही है। जंगल में जानवर सुरक्षित नहीं हैं और प्रदेश में बच्चियों सुरक्षित नहीं हैं। प्रदेश में जंगल राज चल रहा है। 

कैसे हुई हाथियों की मौत

  • 29 अक्टूबर (मंगलवार) की दोपहर बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के खतौली और पत्तोर रेंज में 13 हाथियों के झुंड में से चार मृत( एक नर तीन मादा) पाए गए 6 अस्वस्थ और तीन स्वस्थ दिख रहे थे। शिकार की संभावनाओं को देखते हुए पूरे इलाके की तलाशी ली गई। बांधवगढ़ संजय स्कूल का वाइल्डलाइफ फॉरेंसिक एंड हेल्थ जबलपुर के वन्य जीव स्वास्थ्य अधिकारियों और वन्य जीव पशु चिकित्सकों की मेडिकल टीम ने जंगली हाथियों का इलाज किया। एसटीएसएफ जबलपुर और भोपाल की टीम जांच करने पहुंची। पार्क प्रबंधन एवं वन्य जीव चिकित्सक लगातार भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों से परामर्श ले रहे थे।
  • 30 अक्टूबर (बुधवार) को इलाज के दौरान चार और हाथियों की मौत हो गई। बुधवार तक एक नर और 7 मादा हाथियों की मौत हो चुकी थी। एसडब्ल्यूएफएच जबलपुर के वन्यजीव स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम ने बाकी बचे 5 अस्वस्थ हाथियों का इलाज किया। वन्यजीव पशु चिकित्सकों और एसडब्ल्यूएफएच जबलपुर की टीमों ने पोस्टमार्टम किया। कुल 14 पशु चिकित्सक पोस्टमार्टम और उपचार में शामिल रहे। कान्हा और पेंच टाइगर रिजर्व के वन्यजीव स्वास्थ्य अधिकारी भी सहायता के लिए मौके पर पहुंचे। बुधवार को 6 हाथियों का पोस्टमार्टम हुआ। एक हाथी का नमूना जांच के लिए एसडब्ल्यूएफएच भेजा गया।
  • 31 अक्टूबर (गुरुवार) को दो और हाथियों की मौत हुई। वन्यजीव स्वास्थ्य अधिकारियों, एसडब्लूएफएच जबलपुर की टीमों ने 9 हाथियों का पोस्टमार्टम कर लिया है और एक हाथी का पोस्टमॉर्टम आज किया। मध्य प्रदेश के प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ़ फारेस्ट का कहना पोस्टमार्टम की शुरुआती जांच में डॉक्टर का कहना है कि हाथी के पेट से बहुत ज्यादा मात्रा में कोदो निकला है। कोदो में टॉक्सिक होता है, जो फंगस लगने से जहरीला हो जाता है। इससे मौत हो सकती है। 

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