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PFI ban: खरगोन में रामनवमी के दंगे के बाद PFI ने वसूला था 55 लाख रुपये का चंदा

PFI ban: खरगोन दंगे के बाद स्थानीय स्तर पर तेजी से हरकत में आए PFI ने एक समुदाय के लोगों को भड़काने की कोशिश की थी और उनसे करीब 55 लाख रुपये का चंदा भी वसूला था।

Edited By: Khushbu Rawal @khushburawal2
Published : Sep 28, 2022 18:41 IST, Updated : Sep 28, 2022 18:41 IST
Ram Navami riots in Khargone
Image Source : FILE PHOTO Ram Navami riots in Khargone

Highlights

  • PFI ने एक समुदाय के लोगों को भड़काने की कोशिश की थी
  • दंगा प्रभावितों की मदद के नाम पर चंदा वसूला था
  • PFI के दफ्तर से आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए थे

PFI ban: केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) ने खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी की शोभायात्रा के बाद हुए दंगे को लेकर एक समुदाय के लोगों को भड़काने की कोशिश की थी और दंगा प्रभावितों की मदद के नाम पर उनसे करीब 55 लाख रुपये का चंदा भी वसूला था। पुलिस के एक आला अधिकारी ने बुधवार को यह जानकारी दी। इंदौर में पुलिस की खुफिया शाखा के उपायुक्त रजत सकलेचा ने बताया,‘‘हमें जांच में पता चला है कि खरगोन दंगे के बाद स्थानीय स्तर पर तेजी से हरकत में आए PFI ने एक समुदाय के लोगों को भड़काने की कोशिश की थी और उनसे करीब 55 लाख रुपये का चंदा भी वसूला था। दंगा प्रभावितों की मदद के नाम पर यह चंदा वसूला गया था।"

इंदौर में 2008 से हुई थी PFI की गतिविधियों की शुरुआत

उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश के सबसे बड़े शहर इंदौर में PFI की गतिविधियों की शुरुआत हालांकि 2008 से हुई थी, लेकिन 2020 के दौरान संशोधित नागरिकता कानून (CAA), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (NRC) तथा राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (NPR) के खिलाफ शहर में हुए विरोध प्रदर्शनों की कमान संभालने के चलते यह संगठन लोगों के बीच अचानक चर्चा में आ गया था। पुलिस उपायुक्त ने बताया कि इन विरोध प्रदर्शनों के बाद इंदौर में अलग-अलग संगठनों की आड़ में पीएफआई की विद्वेषपूर्ण गतिविधियां तेज हुई थीं और संगठन समूचे पश्चिमी मध्यप्रदेश, खासकर राजस्थान की सीमा से सटे जिलों में अपना जाल फैलाने की कोशिश कर रहा था।

PFI ने की थी एक समुदाय के लोगों को भड़काने की कोशिश
उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के चूड़ी विक्रेता 25 वर्षीय तस्लीम अली की इंदौर में 22 अगस्त 2021 को भीड़ में शामिल लोगों द्वारा पिटाई के बाद भी पीएफआई ने एक समुदाय के लोगों को भड़काने की कोशिश की थी। सकलेचा ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने से पहले, इंदौर में पीएफआई के साथ औपचारिक रूप से जुड़े लोगों की तादाद 70 से 75 के बीच थी और यह संगठन सोशल मीडिया के दुरुपयोग से खासकर कम पढ़े-लिखे लोगों और दिहाड़ी पर छोटे-मोटे काम करने वाले लोगों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश करता था।

PFI के दफ्तर से आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद
उन्होंने बताया कि 22 सितंबर को एनआईए के देशव्यापी छापों के वक्त इंदौर के जवाहर मार्ग पर PFI के दफ्तर से आपत्तिजनक दस्तावेज तथा अन्य सामग्री बरामद की गई थी और इसके बाद दफ्तर पर ताला जड़ते हुए पुलिस की तैनाती की गई थी। सकलेचा ने बताया कि पीएफआई पर प्रतिबंध के बाद इसके बंद दफ्तर के आस-पास सुरक्षा बढ़ा दी गई है।

अधिकारियों ने बताया कि NIA की देशव्यापी मुहिम में 22 सितंबर को इंदौर से पीएफआई के तीन नेताओं को गिरफ्तार किया गया था, जबकि शहर में इस संगठन से जुड़े चार अन्य लोगों को 27 सितंबर को मध्यप्रदेश पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

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