उज्जैन से 75 किलामीटर दूर स्थित बडनगर तहसील के ग्राम भिडावद में आज भी अनूठी आस्था देखने को मिलती है। आज सुबह गांव में गाय का पूजन किया गया। पूजन के बाद लोग जमीन पर लेटे और उनके ऊपर से कई गाय निकाली गईं। मान्यता है कि ऐसा करने से मन्नतें पूरी होती है और जिन लोगों की मन्नत पूरी हो जाती है वे भी ऐसा करते है। परम्परा के पीछे लोगों का मानना है कि गाय में 33 करोड़ देवी देवताओं का वास होता है और गाय के पैरों के नीचे आने से देवताओं का आशीर्वाद मिलता है।
इस साल 12 लोगों ने निभाई यह परंपरा
इस साल आज सुबह यहां 12 लोग इस परंपरा को निभाने में शामिल हुए। इनके ऊपर से करीब 30 गायों को निकाला गया। वहीं, कुछ लोगों का मानना है कि यहां आस्था के नाम पर लोगों की जान के साथ खिलवाड़ भी किया जाता है। गांव वालों के मुताबिक, दीपावली पर्व के दूसरे दिन होने वाले इस आयोजन में जो लोग शामिल होते है उन्हें वर्षों पुरानी परम्परा का निर्वाह करना होता है। परम्परा के अनुसार लोग 5 दिन तक उपवास करते है और दीपावली के एक दिन पहले गांव के माता मंदिर में रुककर रात गुजारते है और भजन कीर्तन करते हैं।
लेटे हुए लोगों पर एक साथ छोड़ी जाती हैं गायें
आगे ग्रामीण बताते हैं दीपावली के दूसरे दिन पड़वा पर सुबह गौपूजन किया जाता है, उसके बाद ढोल बाजे के साथ गांव की परिक्रमा की जाती है। फिर एक ओर गांव की सभी गायों को एकसाथ किया जाता है और दूसरी तरफ लोग जमीन पर लेट जाते हैं। फिर शुरू होती जान जोखिम में डालने वाली अनूठी परम्परा, जहां लेटे हुए लोगों पर सभी गायों को एक साथ छोड़ दिया जाता है। कुछ ही समय में सारी गायें इन्हें अपने पैरों से रौंदती हुई इन पर से गुजर जाती है। इसके बाद मन्नत करने वाले उठ खड़े होते है और ढोल की धुन पर नाचने लगते है। पूरे गांव में खुशी का माहौल रहता है। इस दृश्य को देखने के लिए आस पास के गांवों के लोग भी उत्साह के साथ आते है।
(इनपुट- प्रेम डोडिया)