रविन्द्रनाथ टैगोर दुनियाभर में अपनी लेखनी और कला के लिए जाने जाते हैं। उन्हें बांग्ला साहित्य का सबसे बड़ा कवि और लेखक माना जाता है। रवीन्द्रनाथ टैगोर को साल 1913 में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था और अब उनके घर शांति निकेतन (shanti niketan) को यूनेस्को विश्व धरोहर सूची (UNESCO World Heritage List) में शामिल कर लिया गया है। दरअसल, शांति निकेतन की स्थापना
रविन्द्रनाथ टैगोर के पिता देवेंद्रनाथ टैगोर ने की थी। इस घर को पारंपरिक गुरुकुल की तरह शिक्षा और कला का केंद्र माना जाता था। ठाकुर रविन्द्रनाथ टैगोर ने यहां अपनी पूरी उम्र गुजारी थी और उनके जाने के बाद यहां रवींद्र संगीत और शिक्षा की चलती रही। तो, टैगोर की इस याद को हमेशा बनाएं रखने के लिए यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित कर दिया है।
शांति निकेतन कैसे जाएं-How to go Shantiniketan
अगर आप शांति निकेतन जाना चाहते हैं तो सबसे पहले आप जिस भी शहर में रह रहे हैं वहां से कोलकाता पहुंचे। शांतिनिकेतन सड़क मार्ग से कोलकाता से लगभग 212 किमी दूर है और कोलकाता से इसकी रोड कनेक्टिविटी अच्छी है। इस रूट पर चलने वाली कई बसें आपको गंतव्य तक पहुंचा सकती हैं। शांतिनिकेतन में घूमने लायक स्थानों के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन बोलपुर है। एक टैक्सी या रिक्शा आपको रविन्द्र भवन और विश्व भारती विश्वविद्यालय की अन्य इमारतों तक ले जा सकता है। शांतिनिकेतन में घूमने के स्थानों की ओर जाने वाली सड़कें अच्छी तरह से बनाए गई हैं और दोनों तरफ हरियाली है।
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शांतिनिकेतन में घूमने की जगहें-Where to visit in Shantiniketan
शांतिनिकेतन जाने के बाद आप रविन्द्र भवन जा सकते हैं। यहां टैगोर खुद रहते थे। यहां उनके द्वारा उपयोग की गई विभिन्न वस्तुओं को प्रदर्शित करता है। इसके बाद आप छतीमतला जा सकते हैं जहां रवीन्द्रनाथ टैगोर के पिता महर्षि देवेन्द्रनाथ टैगोर ने ध्यान किया करते थे। इसेक बाद आप सिंघा सदन जा सकते हैं। यह साधारण घंटी और घंटाघर वाली इमारत टैगोर के जीवन से जुड़ी घटनाओं में बहुत महत्व रखती है। यह आकर्षक इमारत वह जगह है जहां महान कवि ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की थी।
इसके बाद आप चीना भवन जा सकते हैं जो कि विश्व भारती विश्वविद्यालय में कई शैक्षणिक ब्लॉक हैं। यहां अक्सर चीनी विद्वान आते हैं। इसके बाद आप कला भवन और दृश्य कला विभाग जा सकते हैं। अंत में आप अमर कुटीर जा सकते हैं जिसे स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों की शरणस्थली माना जाता है। अमर कुटीर अब स्थानीय कला और शिल्प को बढ़ावा देने के लिए एक सहकारी समिति है।
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इसके बाद यहां से लौटते हुए आप खोई सोनाझुरी वन जा सकते हैं। ये लाल-लैटेराइट मिट्टी वाला जंगल भारत के सबसे स्वच्छ जंगलों में से एक है। खोई सोनाझुरी वन में कई सोनाझुरी पेड़ हैं जिनमें सर्दियों के दौरान सुनहरे फूल आते हैं। इसके अलावा शांतिनिकेतन में देखने लायक स्थानों में आदिवासी शिल्प, हथकरघा, भोजन, नृत्य और संगीत कुछ असाधारण अनुभव भी आपको मिलेंगे।