Kullu dussehra festival: कुल्लू में दशहरा फेस्टिवल शुरू हो गया है। कुल्लू दशहरा का इतिहास साढ़े तीन सौ वर्ष से अधिक पुराना है। इस फेस्टिवल में 14 देशों के लोग और सांस्कृतिक दल भाग ले रहे हैं। भगवान रघुनाथ की रथयात्रा शाम के 7 बजे के साथ शुरू होती है। इसके बाद यहां 14 देवी-देवता का महाकुंभ शुरू होता। भुवनेश्वरी माता भेखली का इशारा मिलते ही रथयात्रा शुरू होती है। रथ मैदान से भगवान रघुनाथ ढालपुर स्थित अस्थायी शिविर पहुंचता है। इस प्रकार ये ये कुल्लू फेस्टिवल मनाया जाता है।
कुल्लू फेस्टिवल में क्या है खास?
कुल्लू अंतर्राष्ट्रीय दशहरा में देश-विदेश से पर्यटकों और श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। हिडिम्बा माता उन 300 से अधिक देवी-देवताओं में से प्रमुख देवी हैं जिनकी इस उत्सव के दौरान पूजा की जाती है। अन्य जगहों से उलट, राज्य में त्योहार के दौरान रावण का पुतला नहीं जलाया जाता है। पिछले साल, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने महोत्सव में भाग लिया था।
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कुल्लू फेस्टिवल में क्या-क्या किया जा सकता है?
दशहरे के दौरान सांस्कृतिक मेले का आनंद ले सकते हैं आप। कुल्लू में अक्सर मेले और प्रदर्शनियां आयोजित की जाती हैं, जहां आप यहां के स्थानीय व्यंजनों और अन्य प्रसिद्ध हिमाचली खाने का आनंद ले सकते हैं। जैसे धाम,चना मद्रा और मिट्ठा आदि। आप ये व्यंजन पास के स्थानीय रेस्तरां और स्टालों में भी जाकर खा सकते हैं। साथ ही आप इस मेले में रंग-बिरंगे स्टालों से सुंदर पारंपरिक हिमाचली उत्पाद और कपड़े खरीद सकते हैं।
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कुल्लू में घूमने की जगह
कुल्लू गए हैं तो बिना पैराग्लाइडिंग किए बिना न लौटें। इसके अलावा आप यहां कैंपिंग, सुंदर दृश्य वाले कैफे में भोजन करना और ट्रैकिंग तक कुल्लू में आप ये सब कर सकते हैं। कुछ नहीं तो मन की शांति के लिए आप यहां जा सकते हैं। यह भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है, जो रोमांटिक जोड़ों, परिवारों और दोस्तों के बीच काफी लोकप्रिय है। तो, इस बार आप भी यहां घूम आएं।