बरसाना, मथुरा और बनारस की होली के बारे में तो आपने खूब सुना होगा। लेकिन, क्या आपने कोलेकाता की होली के बारे में सुना है। दरअसल, ये होली बेहद खास होती है क्योंकि ये होली फूलों वाली होती है। तो, शांतिनेकन में होली अलग की खूबसूरत होती है जिसे देखने दुनिया के लोग आते हैं। इसके अलावा भी इस होली के दौरान तमाम चीजें होती हैं, आइए जानते हैं विस्तार से की बंगाल में क्यों खास है ये त्योहार।
बंगाल में होली मतलब 'डोल जात्रा'
पश्चिम बंगाल होली को 'डोल जात्रा' के रूप में मनाता है। यहां लोग इस दिन को पालकी पर कृष्ण और राधा की मूर्तियों को रखकर पूरे शहर में घूमते हैं और इस दौरान होली खेलते हैं। इस वक्त ज्यादातर लोग अबीर और गुलाल उड़ाते हैं और चारों तरफ घूमते हैं। ये एक नजर से दूसरे नगर तक चलता रहता है। कई जगहों पर आप इसे भव्य रूप में देख सकते हैं।
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शांतिनिकेतन में मनाया जाता है बसंत उत्सव
शांतिनिकेतन और जोरासांको ठाकुर बाड़ी में, होली मतलब होता है बसंत उत्सव। दरअसल, शांतिनिकेतन रवींद्रनाथ टैगोर का निवास था और यहां होली को प्रकृति के रंगों के साथ मनाया जाता है। यहां बसंत उत्सव एक विशेष तरीके से मनाया जाता है। यह उत्सव हर तरह से उनके सॉनेट्स, गीतों, नृत्य रूपों और साहित्य से संबंधित चीजें होती हैं। इस दौरान लोग गुझिया, खीर और ठंडाई जैसी मिठाइयों को खाते हैं।
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होती है फूलों की होली
पश्चिम बंगाल में होली फूलों वाली होती है। दरअसल, इन दिनों प्रकृति पलाश, अशोक, शिमुल के लाल और केसरिया फूलों से सराबोर होती है और लोग इसी से होती खेलते हैं। इस प्रकार से बंगाल में होली बेहद खास ढंग से मनाई जाती है।