चैत्र नवरात्रि 9 अप्रैल 2024 से शुरु हो रही हैं। नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। भक्त पूरी आस्था और विश्वास के साथ माता की उपासना करते हैं। कुछ लोग नवरात्रि में माता के शक्तिपीठ मंदिरों के दर्शन करने के लिए भी पहुंचते हैं। देवी के ऐसे कई शक्तिपीठ मंदिर हैं जिनकी धार्मिक मान्यता काफी ज्यादा है। प्राचीन कथाओं में इन मंदिरों का जिक्र किया गया है। मां शक्ति के 52 शक्तिपीठ में से कई विदेशों में भी स्थित हैं। भारत के अलावा पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका में भी शक्तिपीठ मंदिर हैं। जानिए भारत के अलावा विदेश में प्रसिद्ध शक्तिपीठ कौन से हैं।
नेपाल में शक्तिपीठ
भारत के पड़ोसी देश नेपाल में भी माता सती के अंग गिरे थे। नेपाल में तीन शक्तिपीठ मंदिर हैं। जिसमें गंडक नदी के पास आद्या शक्तिपीठ मंदिर स्थित है। यहां माता की गंडक के रूप में पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि जगह माता के बायां गाल गिरा था। वहीं दूसरा शक्तिपीठ पशुपतिनाथ मंदिर से थोड़ी दूर गुहेश्वरी शक्तिपीठ है। इस जगह माता सती के घुटने गिरे थे। नेपाल में ही तीसरा शक्तिपीठ दन्तकाली मंदिर है जो बिजयापुर गांव में हैं। यहां माता के दांत गिरे थे।
श्रीलंका में शक्तिपीठ
कहते हैं कि माता सती की पायल श्रीलंका में गिरी थी। श्रीलंका में इंद्राक्षी शक्तिपीठ मंदिर है। जो जाफना नल्लूर क्षेत्र में स्थित है। इस मंदिर में स्थिति माता को इंद्राक्षी नाम से पुकारा जाता है। मान्यताओं के अनुसार यहां भगवान राम ने भी पूजा की थी।
पाकिस्तान में शक्तिपीठ
पाकिस्तान के बलूचिस्तान में भी एक शक्तिपीठ है। जिसे हिंगुला शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां माता सती का सिर गिरा था। इस मंदिर को नानी का मंदिर भी कहा जाता है।
तिब्बत में शक्तिपीठ
भारत के पड़ोसी देश तिब्बत में भी एक शक्तिपीठ मंदिर है। मानसरोवर नदी के किनारे ये मंदिर स्थित है जहां माता सती की दांईं हथेली गिरी थी। इसे मनसा देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।
बांग्लादेश में शक्तिपीठ
पड़ोसी देश बांग्लादेश में सबसे ज्यादा 5 शक्तिपीठ मंदिर स्थित हैं। यहां उग्रतारा शक्तिपीठ मंदिर है जहां मा सती की नाक गिरी थी। दूसरा अपर्णा शक्तिपीठ मंदिर है। इस जगह माता के बाएं पैर की पायल गिरी थी। तीसरा श्रीशैल शक्तिपीठ मंदिर है जहां देवी सती का गला गिरा था। चौथा चिट्टागोंग जिले में चट्टल भवानी शक्तिपीठ है जहां दायीं भुजा गिरी थी और पांचवां यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ है, जहां देवी सती की बाई हथेली गिरी था। इसके अलावा जयंती शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध मंदिर को भी शक्तिपीठ कहा जाता है। मान्यता है कि यहां सती माता की बाईं जांघ गिरी थी।