2. वो महिलाएं हमें देख दंग रह गईं जो घर से नहीं निकलतीं
अनीता पीटर ने अपने अनुभव के बारे में बताया, “इस ट्रिप ने मुझे लोगों की सोच को समझने का मौका दिया है। हैदराबाद में बैठे-बैठे मैं यह नहीं सोच सकती थी कि लोग आज भी कितने रुढ़िवादी हैं। एक तरफ एेसे लोग हैं जो पूरी दुनिया में देश का नाम रोशन कर रहे हैं, और दूसरी तरफ कई एेसे हैं जो आज भी बहुत पुराने ख़याल रखते हैं। जैसे, अमरावती जाते वक्त एक छोटे से कस्बे में हम आराम करने के लिए रुके। वहां एक महिला मिलीं और हमारे बारे में सब कुछ पूछने लगी। वो ये जानकर हैरान रह गईं कि हम तीनों औरतें अकेले घर से निकलकर ये काम कर रही हैं। उस महिला ने बताया कि वह न ही खुद घर से ज्यादा बाहर निकलती है, और न ही अपनी बेटी को निकलने देती है। हैरानी तो तब बहुत हुई जब उसने कहा कि वह अपनी बेटी को उसके पिता से भी ज्यादा बात नहीं करने देती। इसके पीछे वजह थी कि कहीं पिता अपनी बेटी के साथ कुछ गलत न कर दे। वह महिला तो हम तीनों को भी वापस घर लौट जाने की सलाह देने लगी। (डॉक्टर्स डे स्पैशल: डॉक्टर व मरीजों के बीच बातचीत जरुरी)
3. लोगों को लगा कि हम चांद पर जा रहें हैं
इस तिकड़ी की तीसरी मेंबर स्मृति गट्टू ने इस सैर-सपाटे पर जाने से पहले सोचा नहीं था कि इस तरह के अनुभव लेकर लौटने वाली हैं। उन्होंने बताया, “बड़े शहरों में लोग हमें देखकर खुश होते थे, और वे हमारे इस सफर के बारे में जानते भी थे। लेकिन गांवों और कस्बों में हालात कुछ और ही हैं। हम लोग कन्याकुमारी से जब निकले तो बीच में एक छोटे से गांव में रुके। हमने अपने हेलमेट उतारे तो वहां के लोग आकर हमें हैरानी से देखन लगे, और पूछने लगे कि क्या हम लोग चांद पर जाने वाले (एस्ट्रोनॉट) हैं?” ( मानसून में कैसे करें वाटरप्रूफ मेकअप, फैशन शो में मेकअप कलाकारों को मिला मंच)
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