नई दिल्ली: मार्गशीर्ष (अगहन) मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को काल भैरवाष्टमी कहते हैं। क्योंकि इस दिन काल भैरव जन्म हुआ था। हिंदू धर्म के अनुसार माना जाता है कि काल भैरव भगवान शिव के दूसरा रूप है। इसलिए इन्हें शिव का अवतार माना जाता है।
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इस बार काल भैरवाष्टमी 3 दिसंबर, गुरुवार के दिन है। इस दिन विधि-विधान के साथ पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने के साथ-साथ घर में सुख-शांति आती है। भारत में ऐसे कई मंदिर है जो अपनी खासियत के कारण विश्व प्रसिद्ध है। इन्ही में से है काल भैरव के मंदिर।
काल भैरव की इन मंदिर की अपनी अलग खासियत है। इन मंदिर में जो काल भैरव की मूर्तिया स्थापित है। जहां पर भगवान को प्रसाद के रूप में शराब चढ़ाई जाती है। इतना ही नहीं, कुछ मंदिरों में तो भक्तों के द्वारा चढ़ाई गई शराब को भगवान सभी की आंखों के सामने ग्रहण भी करते हैं।
जैसे ही भैरव मूर्ति की आगे पात्र में शराब भरी जाती है, कुछ ही देर में सभी की आंखों के सामने ही शराब से भरा वो पात्र खाली हो जाता है। जानिए ऐसे ही मंदिरों के बारें में।
काल भैरव मंदिर, उज्जैन
इस मंदिर अपने आप पर एक अजूबा है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि भगवान काल भैरव साक्षात रूप में मदिरा पान करते है। वैसे तो काल भैरव के हर मंदिर में भगवान भैरव को मदिरा प्रसाद के रूप में चढ़ाई जाती है।
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