चलिए अब बात करते हैं कि हम कहां घूमें-
घूमने का शौक तो मुझे हमेशा से रहा है। नेचर के बीच जाना तो ऐसा लगता है मानो कोई सबसे खास है जिसे मैं अपने दिल की हर बात को बता सकती है। तो अब हमने एक नए पल की यादगार शुरुआत नैनी लेक से की।
जब हम होटल से फ्रेश होकर नैनी लेक के पास पहुंचे तो वहां एक मनोरम दृश्य देखकर बस ऐसा लगा कि बाहें फैला कर यही कहें कि वाह क्या लाइफ है...इस लाइफ के लिए शुक्रिया... काश में यही रह जाऊं.. लेक पहाड़ों से घिरी हुई जिसमें आधे में धूप तो आधे में छांव और आपके बदन को छूती हुई ठंड़ी-ठंडी हवा मानो आपसे बातें कर रही हो और खेलने की कोशिश कर रही हो। आपके दिमाग की हर नस को वो स्थिर कर देगी। बस फिर क्या था उस पल को जीने के लिए मैं तो आतुर ही हो गई और फिर शुरू हुआ फोटोग्राफी का दौर। मैं हर एक पल को अपने कैमरे में कैद करना चाहती थी जिसके साथ ही अपनी यादे संजो पाऊं और मैंने यही किया।
हम जब ऊपर नैनी व्यूह में पहुंचे तब तक अंधेरा हो गया। वहां से नैना लेक का दृश्य देखा तो आंखो को यकीन नहीं हुआ कि धरती पर इतनी सुंदर भी जगह है जिसका एक आकार है, वो भी एक आम की तरह। बस एक ही बात मुंह से निकली, 'WOW'
नयना देवी मंदिर
चारों ओर बजती घंटियों की आवाजें जो कि कानों में एक मधुर रस घोल रही थी। जिन्हें सुनकर शरीर में एक एनर्जी सी आ रही थी और लग रहा था कि मां आज हमें दर्शन जरूर देगी। जल्दी-जल्दी हम प्रसाद लेकर मां के दर्शन करने पहुंचे। मां को देखते ही बस ऐसा लगा कि मैं उसी जगह जम गई हूं। बस एक टक आंखों से उन्हें निहार रही थी। फिर किसी ने धक्का दिया तो पता चला मैं तो किसी मंदिर में हूं जो कि मां के ख्यालों में खो गई थी। फिर हमने मां की पूजा-अर्चना की।
आपको बता दूं कि यह मंदिर 64 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि मां सती की आंख यहां पर गिरी थी। इस मंदिर के साथ भगवान शिव और नवग्रह भी विराजमान है। यहां पर मांगी हर मन्नत पूरी होती है।
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