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BLOG: आओ चलें सपनों के शहर में जहां हो सिर्फ और सिर्फ गुड़्डे-गुड़ियां...

डॉल्स म्यूजियम का नाम सुनकर ही मैं काफी उत्साहित थी कि आखिर आज इतने सालों बाद फिर से तरह-तरह की गुड़ियों को देखने को मिलेगा। वहां पहुंची तो ऐसा लगा कि बस अपनी सारी गुड़िया उठाऊं और अपने घर ले जाऊं। फिर वहीं बचपन वापस आ जाएं लेकिन ऐसा अब कहां हो सकता है।

Written by: Shivani Singh @lastshivani
Updated : November 22, 2021 12:22 IST
Shankars international dolls museum
Shankars international dolls museum

बचपन में हर किसी को डॉल्स काफी पसंद होती है चाहे फिर आप हो या फिर मैं। गुड़िया एक ऐसी चीज है जिसे देखकर बस मन से एक ही बात निकलती है कि "वाह कितनी खूबसूरत और प्यारी डॉल है।" कभी-कभी अपना बचपन याद आता है कि कैसे मां-पापा हमारे लिए मार्केट से गुड़िया लेकर आते थे और तब हम खूब खुश हो जाते थे। ऐसा लगता था मानों पूरी दुनिया अपनी मुट्ठी में कर ली हो। शायद आपको भी याद हो कि हम बचपन में कैसे गुड़ियों से खेलते थे उनके लिए घर बनाते थे। हम उन्हें खिलाते भी थे और सुलाते भी थे मानो वो सच में खाना खाकर सो जाएगी। इसी बात का मां हमेशा फायदा उठाती थी जब हम नहीं खाते थे तो कहती थी, 'खा लो नहीं तो तुम्हारी गुड़ियां को खिला देगें', इस बात में हम झट से खाना खा लेते थे। अब आप सोच रहे होगे कि मैं इतने बचपन की बात क्यों कर रही हूं और वो भी गुड़ियो की। तो मैं बता दूं कि मुझे कुछ ऐसा ही महसूस हुआ था जब मैं 'डॉल्स म्यूजियम' गई।

डॉल्स म्यूजियम का नाम सुनकर ही मैं काफी उत्साहित थी कि आखिर आज इतने सालों बाद फिर से तरह-तरह की गुड़ियों को देखने को मिलेगा। वहां पहुंची तो ऐसा लगा कि बस सारी गुड़िया उठाऊं और अपने घर ले जाऊं। फिर वहीं बचपन वापस आ जाएं लेकिन ऐसा अब कहां हो सकता है।

शंकर्स इंटरनेशनल डॉल्स म्यूजियम के नाम के इस म्यूजियम स्टोरी भी बहुत ही रोचक है। इतनी बड़े म्यूजियम बनने के पीछे है सिर्फ एक गुड़िया। आपको यह बात जान हैरानी होगी। इतनी सारी डॉल्स का संग्रह पूरी दुनिया में कहीं और नहीं है। भारत एकलौता ऐसा देश है जहां पर इतनी सारी गुड़ियों का म्यूजियम है।

Shankars international dolls museum

Shankars international dolls museum

चलोॆ अब बताते है कि आखिर इसके पीछे की कहानी क्या है? एक बार शंकर 50 के आरंभ में हंगरी के राजदूत से मिले थे जहां पर उन्हें एक गुड़िया गिफ्ट की गई। वह इस गुड़िया से इतना ज्यादा अभिभूत हुए कि जब भी वह विदेश जाते तो वहां से एक गुड़िया ले आते थे।

जब ये चिल्ड्रन बुक ट्रस्ट अपनी बिल्डिंग तैयार कर रहा था तो उस समय गुड़ियों को रखने के लिए एक हिस्सा बनाया गया था। इस म्यूजियम का उद्घाटन 1965 में भारत के राष्ट्रपति डॉ राधाकृष्णन ने किया था। उस समय यहां पर एक हजार गुड़िया थीं और आज की बात करें तो 85 देशों की 7000 से भी ज्यादा गुड़िया यहां पर मौजूद है जो कि अब एक इंटरनेशनल पहचान बन चुका है।

Shankars international dolls museum

Shankars international dolls museum

आपको बता दें कि यह म्यूजियम 5184 वर्ग फीट है जो कि 2 बराबर हिस्सों में बटा हुआ है। अब बात करते है पहले हिस्से की तो इसमें विभिन्न देश जैसे कि यूरोपीय देश, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों की डॉल्स विभिन्न वेशभूषा के साथ रखी है। वहीं दूसरे हिस्से में अफ्रीका, मध्य पूर्व, एशियाई देशों के साथ-साथ भारत के हर राज्य के हिसाब से वेशभूषा में गुड़िया रखी हुई है। उन्हें देखकर पुराने भारत की याद ताजा हो गई कि राज्य के हिसाब से सभी की वेशभूषा कैसा होती था। यहां पर भारत की 150 से ज्यादा वेशभूषा में गुड़िया रखी हुई है।

अगर आपको भी गुड़ियों से बहुत प्यार है तो एक बार डॉल्स म्यूजियम घूम आइए। वहां जाकर आपको अपना बचपन जरूर याद आएगा लेकिन इस बात का ध्यान रखना कि वहां डॉल्स सिर्फ देखने के लिए है न कि घर लाने के लिए....

ऐसे पहुंचे डॉल्स म्यूजियम-

डॉल्स म्यूजियम पहुचंने के लिए आप खास मशक्कत नहीं करनी होगी। बस आपको आरटीओ पहुंचना है और गेट नंबर 4 से बाहर निकलते ही आपको डॉल्स म्यूजियम दिख जाएगा।

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