चारों ओर रेत, पहाड़ और वीरान रास्ता जिसके बीच चलती हुई ठंडी प्यारी सी हवा। हमारे चेहरे पर ऐसे थपेले मारती है मानो कि वह कह रही हो बस अब इसके आगे दुनिया कुछ नहीं है। बस इसी में यूं खो जाएं। जब हमारे साथ ऐसा होता है तो हम सोचते है कि अभी तक हम कहां थे। आखिर हम पहले ये उगता हुआ सूरज का इतना मनमोहक दृश्य क्यों नहीं देख पाएं। जिसकी सुंदरता देखकर हम स्तंभ रह गए। कुछ ऐसा ही मुझे दिखा जिसके साथ ही जोरदार ठंडी-ठंडी हवा बस कर रही हो कि इसी का नाम जिंदगी है दोस्त। बस आपको भी कुछ ऐसा ही पल और सुंदर जगह जाने की चाहत है तो फिर बैग पैक करें और निकल पड़े इस सुहाने सफर पर।
दिल्ली से करीब 600 किमी दूर स्थित जोधपुर का नाम तो आपने सुना ही होगा। जी हां जिसे 'ब्लू सिटी' के नाम से जाना जाता है। जहां पर आप एक खूबसूरत परंपरा, संस्कृति, धरोहरों को बिल्कुल नजदीक से देखेंगे। जिसे देखकर आप यहीं कहेंगे कि वास्तव में ऐसी भी कोई जगह है तो हम आपको आज ले चलते है इस खूबसूरत पहाड़ों, दुर्ग, किला, मंदिरों के बीच। जहां आप आपको सुकुन तो मिलेगा ही। इसके साथ ही वहां पर मौजूद हर चीज एक परिवार की तरह लगेगी जो कि आपकी हर परेशानी को छूमंतर कर एक नई उमंग और जोश भर देगी।
इस सुहाने सफर का आनंद आप तभी उठा सकते है जब आपको वहां के बारे में हर एक चीज पता है नहीं तो आपके इस सुकून में ग्रहण लगाने के लिए काफी लोग मिल जाएं। इससे बचने के लिए चलो हम आपकी थोड़ी सी मदद कर देते हैं और हर एक चीज बता देते हैं, जिससे कि आपका हर एक पल खुशनुमा बीते। (BLOG: नैनीताल... एडवेंचर के साथ-साथ शांति भी है, यहां आपको हो जाएगा जिंदगी से प्यार)
घूमने का शौक मुझे हमेशा से ही रहा है। हमेशा नेचर के बीच जाने की कोशिश करती हूं लेकिन इस बार थोड़ा अपने आइडिया को बदलकर मारवाड़ी संस्कृति और राजा-महाराजाओं की शान-शौकत देखने की इच्छा हुई। इसी इच्छा को पूरी करने के लिए पहले दिन ही हम जोधपुर के सबसे फेमस दुर्ग मेहरगढ़ पहुंच गए। हमने जो होटल लिया था जो कि शहर के बीचों-बीच था। जहां से हर एक चीज कुछ किलोमीटर की दूरी में थी।
जब हम अपने होटल से फ्रेश होकर दुर्ग की ओर निकले तो टेढ़ी-मेढ़ी सड़को इधर-उधर घूमा रही थी। तभी सामने बेमिशाल ऊंचाई में हमें हमारी मंजिल दिखाई दी, जिसे देखकर मानों ऐसा लगा कि कितनी शान के साथ राजा यहां से राज्य करते होंगे। वह कितने ऊर्जावान होगे कि शहर से इतनी ऊंचाई पर इस किले को बनाया है। बस फिर क्या था मैं तो हर एक पल को इस तरह अपने कैमरे में कैद करना चाहती थी, जिससे कि इन तस्वीरों को देखकर फिर से यादों को जिंदा कर लूंगी। यहीं एक ऐसी जगह है जहां से आपको पूरी जोधपुर सिटी नजर आएगी। हर घर ब्लू कलर में नजर आएगा। जोकि इस बात का सबूत है कि बस यहीं है ब्लू सिटी।
मेहरानगढ़ किला
जैसे ही हम मेहरानगढ़ किले के अंदर गए तो हमारे कानों में मधुर संगीत की आवाज सुनाई दे रही थी। जी हां स्वागत द्वार में तीन-चार लोग खूबसूरत अंदाज में अपने वादक यंत्रों का इस्तेमाल कर हर किसी को आकर्षित कर रहे थे। उनकी मधुर आवाज कानों में ऐसे लग रही थी जैसे वास्तव में यह कोई संगीत है। आपको बता दें कि यह फोर्ट एक बुलंद पहाड़ी में बना हुआ है। जो कि 150 मीटर ऊंचा है। जिसे राव जोधा ने बनवाया था।
जैसे-जैसे हम आगे बढ़ते गए वैसे-वैसे ही हमें फोर्ट की भव्यता देखने को मिलती जा रही थी। एक जगह कबूतरों का पूरा झुंड बैठा हुआ था या यूं कह सकते है कि इस दुर्ग में उनके लिए एक खास जगह बनी हुई। जहां पर कबूतर लाइन तार बैठे हुए थे। दुर्ग के सबसे ऊपरी मंजिल में तोपों का रखना होना। कीरत सिंह सोडा, एक योद्धा जो एम्बर की सेनाओं के खिलाफ किले की रक्षा करते हुए गिर गया था। उनके सम्मान में यहां एक छतरी है। छतरी एक गुंबद के आकार का मंडप है जो राजपूतों की समृद्ध संस्कृति में गर्व और सम्मान व्यक्त करने के लिए बनाया जाता है।
इसके अलावा यहां पर आपको शाही पालकियों की एक झलक मिलेगी। आपको बता दें कि आम जनता के लिए यहां पर एक हिस्सा संग्राहलय के रुप में बदल दिया गया है। जिसमें आपको राजा महाराजाओं के युद्ध से लेकर शान शौकत की पूरी चमक नजर आ जाएगी। आप इस फोर्ट के 3 खंड तक जा सकते है। इसके आगे अधिक जानने के लिए आप यहां जाएं। नहीं तो इस जगह का पूरा आनंद नहीं उठा पाएंगे।
मंडोर गार्डन
हम यह अच्छी तरह जानते है कि जोधपुर रातपुताना वैभव का केंद्र है। जहां पर आपको कई प्राचीन इमारतें मिल जाएगी। वहीं एक एक ऐसी जगह की ओर निकल पड़े जिसे मंडोर गार्डन के नाम से जाना जाता है। यह एक ऐसी जगह है जहां पर आपको स्थापत्य कला के बैजोड़ नमूने देखने को मिलेगा।
जब यहां हम पहुंचे तो हमें ऐसा लगा कि यहां पर तो कुछ है ही नहीं सिर्फ एक मजाकिया तौर पर गार्डन बना दिया गया है जहां पर आप पिकनिक कर लेते है। फिर हमने सोचा कि इतनी दूर आ गए है तो अंदर भी चल लेते है। जैसे ही हमारे कदम आगे बढ़ते गए हमारी शक्ल देखने लायक हो गई थी। हम सभी ने एक दूसरे की शक्ल को देखकर बस मुंह से यहीं निकला कि हम बेकार में मजाक उड़ा रहे थे। यहां तो बेमिशाल और खूबसूरत और स्थापत्य का बेजोड़ नमूना मौजूद है। जिन्हें देखकर बस दिल मचल उठा।
यहां पर बौद्ध स्थापत्य कला के नमूने मिल जाएगे। सबसे बड़ी हैरानी की बात तो यह थी कि इन बड़े-बड़े इमारतों को प्रस्तरों को किसी मसाले से जोड़ा गया था। इस जगह के बारें में हमने जब खोजबीन की तो कई बाते सामने निकल कर आईं। कई स्थानीय लोग इसे रावण की ससुराल भी मानते है क्योंकि मंदोदरी के नाम पर ही इस जगह का नाम मंडोर था।
यहां पर हर एक इमारत लाल पत्थर से बनी हुई थी। आप यहां अजीत पोल, देवताओं की साल, वीरों का दालान, मंदिर, बावड़ी, जनाना महल, एक थम्बा महल, नहर, झील व जोधपुर के विभिन्न महाराजाओं के समाधि स्मारक को देख सकते है। इन सभी की खूबसूरती को हमने कैमरे में कैद कर आगे बढ़ने की सोचा मन तो नहीं हुआ लेकिन इस मन को समझाकर दूसरी जगह घूमने के लिए निकल पड़े।
उम्मेद भवन
जी हां वहीं उम्मेद भवन जहां से प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस की शादी हुई थी। जिसके बारें में हमने खूब खबरें पढ़ी और देखी थी। ऐसे में अगर हम जोधपुर में है और यहां न जाएं ऐसा तो ही नहीं सकता है। जैसे ही हम यहां पहुंचे तो भारी भीड़ नजर आईं। हमने गाड़ी पार्क करके पैलेस के अंदर जाने की जल्दबाजी मच गई। जैसे ही हम अंदर पहुंचे तो इसकी भव्यता देखकर हमारी आंखे चौंधिया गई कि वास्तव में यह बहुत ही खूबसूरत जगह है। यहां पहुंचते ही हमने सबसे पहले विटैज कारों का कलेक्शन देखा। इन शाही सवारी को देखकर राजाओं का शाही अंदाज याद आ गया। इन्हें देखने के बाद हम आगे बढ़े और पहुंचे उम्मैद भवन के संग्राहलय में। जहां राजाओं के परिवारों की तस्वीरों के साथ-साथ उनकी लाइफस्टाइल से संबंधी कई चीजें देखने को मिला। जिन्हें देखकर राजसी ठाठ का आनंद उठाया। सूर्यास्त के साथ-साथ हम भी अपने होटल को थके हारे निकल पड़े।
आपको बता दें कि यह उम्मेद भवन भारत का एकलौता प्राइवेट पैलेस है। इस महल के तीन भाग है। जहां एक भाग पर संग्राहलय, दूसरे में होटल और तीसरे भाग पर राज परिवार की फैमिली रहती है।
करनी हो थोड़ी शॉपिंग
अंधेरा हो जाने पर हमने सोचा कि चलो अब अपने होटल की ओर रुख करें और हम चल दिया। लेकिन जैसे कि हम जोधपुर की फेमस मार्केट के पास पहुंचे तो हमारी थकावट गायब हो गई और जोध के साथ हमने कहा कि चलो अब मार्केट की भी चका चौंध देख ली जाएं। शापिंग के लिए हम सरदार मार्केट, मोची मार्केट, क्लॉक मार्केट सहित पास में ही कई नामों से मार्केट थी। जहां पर राजस्थानी परिधानों से लबालबा भरा हुआ था। वह बंधिनी और लहरिया साड़ी अपनी और आकर्षित कर रही थी। यहां पर आपको आपके बजट के अनुसार साड़ी, फुटवियर मिल जाएगा। इसके बाद हमने यहां की फेमस लस्सी और फिणी खाईं। अब तो हमारा पेट भी भर चुका था इसके साथ ही थकावट अपनी चरम सीमा में पहुंच चुकी थी। जिसके बाद अब हमने अपनी यात्रा को विराम देकर होटल की ओर प्रस्थान किया।
झीलों के खींचा हमारा ध्यान
हमें यहां पर आकर पता चला कि यहां पर कई ऐसी लेक है जहां पर आप नेचर की खूबसूरत के साथ-साथ दुर्लभ पंछियों को भी देख सकते थे। फिर क्या हम दूसरे दिन ही निकल पड़े हर एक लेक को देखने के लिए। सबसे पहले हम जोधपुर से 10 किलोमीटर दूर 'कायलाना लेक' पहुंचे। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस लेक को निर्मित किया गया था। जो कि 84 किलोमीटर लंबी है। यहां पर पहुंचते ही हमें दूर-दूर तक सिर्फ पहाड़ और पानी दिखाई दिया। जिसे देखकर बस दिल से एक ही आवाज कि वाकई में जोधपुर में भी ऐसी लेक है। लेक का खूबसूरत नजारा लेकर हम पहाड़ चढ़ने लगें जहां दूसरी छोर पर भगवान विष्णु का भव्य मंदिर बना हुआ था। थक हार कर हमने मंदिर के दर्शन किया और फिर उस पहाड से नीचे की ओर उतर आएं। इसके बाद हम कई ओर लेक पर गए।
खाने की बेस्ट जगह
हम कहीं भी जाएं लेकिन स्ट्रीट फूड को खाना नहीं भूलते है। यह यूं कह सकते है कि जब तक पेट में स्ट्रीट फूड न जाएं तब तक पेट खाली ही रहता है। ऐसी ही जगह की तलाश में हम गूगल पर सर्च कर रहे थे, लेकिन समझ ही नहीं आ रहा था कि आखिर रात के समय कौन सी जगह पर सबसे अच्छा खाना मिलेगा, तब हमें होटल के मालिक ने बताया कि जोधपुर का सर्किट मार्केट इसी के लिए फेमस है। यहां पर आपके बजट के अनुसार आपकी इच्छा का वेज और नॉनवेज मिल जाएगा। फिर क्या था झट से हम निकल पड़े इस मार्केट की ओर।
जब हम इस जगह पर पहुंचे तो हम देखते ही रह गए ऐसा लगा कि दिल्ली की किसी जगह पर आ गए है। जहां पर स्ट्रीट फूड मिल रहा हो। यहां पर फैली हुई खूशबू हमारी भूख को और बढ़ा रही थी। फिर हमने पूरा निरीक्षण करके खाना खाया।
आपको यहां पर जंकफूड, वेज और नॉनवेज आसानी से मिल जाएगा। जिसे आप अपने बजट के अनुसार भरपेट खा सकते है। इसके बाद हम होटल के लिए निकले और समान पैक कर रात को ही इन सुहाने पलों की यादें साथ लिए जोधपुर को अलविदा कहकर दिल्ली की ओर चल दिए।
अब कर लें बजट की बात
अब बात करें आपके बजट कि जो आपके जीवन का सबसे जरूरी भाग माना जाता है या यू कह सकते है कि अगर आपका बजट ढीला है तो आप जाने से पहले 10 बार सोचेंगे। लेकिन आपके यहां पर ज्यादा पैसे खर्च नहीं होगे। यहां पर आपको मंहगी के साथ-साथ सस्ती से सस्ती जगह रहने के लिए मिल जाएगी। अगर शॉपिंग करनी तो थोड़ा ज्यादा खर्च होगा नहीं तो 4-5 हजार में आप आसानी से घूमकर आ सकते है। अब बात करें कि आखिर कितने दिन में आप जोधपुर की सैर कर सकते है तो आपको बता दें कि बस 2 दिन ही काफी है।
कैसे पहुंचे
अब सबसे बड़ी बात है कि आखिर यहां कैसे पहुंचे तो आप पुरानी दिल्ली से सीधे जोधपुर के लिए ट्रेन ले सकते है। अगर आप समय को बांधकर नहीं चलना चाहते है तो सबसे बेस्ट है कि आप खुद की गाड़ी से जाएं। जैसा कि मैने किया। मैं और मेरी मित्रमंडली रात को दिल्ली से निकले और सुबह-सुबह राजस्थान की सरजमी में पहुंच गएं।
जहां पर निकलते हुए सूरज ने खूबसूरत अंदाज में हमारा स्वागत किया। जिसे देखते ही सारी थकान यूं उतर गई और ऐसा सुकून मिला कि कह नहीं सकते है। इस खूबसूरत नजारे को हमने अपने कैमरे में कैद करके आगे की ओर बढ़ चले।
ठहरने की व्यवस्था
आप चाहे तो पहले ही ऑनलाइन बुकिंग कर सकते है या फिर आप यहां जाकर अपने बजट के हिसाब से कमरा ले सकते है। जहां पर आराम से फ्रेश होकर अपने हर एक पल को जीने के लिए तैयार हो सकते है, जैसा कि मैंने किया।