नई दिल्ली: कैलाश मानसरोवर भगवान शिव का निवास स्थान जो कैलाश पर्वत के पास स्थित है। ऐसा विश्वास है कि इस सरोवर के जल से स्नान करने वाला और इसका पानी पीने वाला पाप मुक्त होकर मृत्यु के बाद उत्तम लोक में स्थान प्राप्त करता है।
भगवान जगन्नाथ की नगरी जगन्नाथपुरी में स्थित यह है इंद्रद्युम्न कुंड। ब्रह्मपुराण में उल्लेख है कि जो इस कुंड में एक बार भी स्नान कर लेता है वह इंद्रलोक को जाता है। यहां पिंड दान करने वाले की 21 पीढियों का उद्घार होता है और स्वयं इंद्रलोक जाता है।
केदारनाथ मंदिर से करीब 500 मीटर दूर सरस्वती नदी के तट पर रेतस कुंड स्थित है ऐसा केदारखंड में लिखा गया है। इस कुंड के जल को पीने से मनुष्य शिवरूप हो जाता है। कहा जाता है कि यहां ऊं नम: शिवाय का जप करने पर पानी में बुलबुले उठते हैं। उत्तराखंड में आई तबाही से यह कुंड लुप्त हो गया है।
बद्रीनाथ स्थित तप्तकुंड। इस कुंड का जल हमेशा गर्म रहता है। बद्रीनाथ आने वाले श्रद्घालु इसी कुंड में स्नान करके ब्रदीनाथ का दर्शन करते हैं। माना जाता है कि इस कुंड में स्नान करने मात्र से कई जन्मों के पाप कट जाते हैं और उत्तम लोक में स्थान प्राप्त होता है।
राजस्थान के झुंझुनूं जिले में स्थित यह है लोहार्गल सूर्य कुंड। यह स्थान सूर्यदेव का घर माना जाता है क्योंकि सूर्यदेव ने विष्णु भगवान की तपस्या से इस स्थान पर पत्नी छाया के साथ निवास करने का अधिकार पाया है। ऐसी कथा है कि यहां सूर्य कुंड में स्नान करने के बाद पाण्डवों को महाभारत युद्घ में किए ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति मिली थी। परशुराम जी को भी यहां क्षत्रियों के वध के पाप से मुक्ति मिली थी। मान्यता है कि यहां स्नान करने मात्र से मनुष्य के पाप कट जाते हैं।
पाकिस्तान में स्थित कटासराज कुंड। इस कुंड के विषय में मान्यता है कि यह सती के वियोग में रो रहे भगवान शिव के आंसुओं से बना है। मान्यता है कि इस कुंड में स्नान करने से सभी प्रकार के पापों का क्षय होता है और व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी बन जाता है।
गोवर्धन पर्वत की तलहटी में स्थित यह है कृष्ण कुंड। कहते हैं श्रीकृष्ण ने अपनी ऐड़ी जमीन पर पटकी और वहां जल की धारा बहने लगी। इस जलधारा से एक कुंड बन गया। श्री कृष्ण ने तीर्थों से कहा कि आप सभी यहां आइए। कृष्ण के आदेश से सभी तीर्थ राधा कृष्ण के सामने उपस्थिति हो गए। इसके बाद सभी कुंड में प्रवेश कर गए। श्री कृष्ण ने इस कुंड में स्नान किया और कहा कि इस कुंड में स्नान करने वाले को एक ही स्थान पर सभी तीर्थों में स्नान करने का पुण्य प्राप्त हो जाएगा।