राजाओं ने भी कोशिश, रहे नाकाम
कहा जाता है कि दक्षिण भारत पर राज करने वाले पल्लव राजवंश ने इस पत्थर को यहां से हटाने के लिए प्रयास किया था, परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली।
साल 1908 में मद्रास के गर्वनर ने इसे यहां से हटाने का हुक्म दिया, जिसके लिए सात हाथियों की मदद ली गई, लेकिन हाथियों का जोर भी इसे यहां से हिला नहीं सका। आज भी लोग इसे हटाने की पूरी कोशिश करते है, लेकिन यह पत्थर ठस से मस नहीं होता है।