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गयाजी: ऐसा स्थान जहां तर्पण और पिंडदान करने से पितरों को मिलती है इस दुनिया से मुक्ति

बिहार का गयाजी तीर्थ स्थान पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए सबसे उचित स्थान माना जाता है। माना जाता है कि अगर आप अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाना चाहते है तो यहां पर आएं। इस स्थान पर 7 पीढ़ी के पूर्वजों तक को मोक्ष दिलाई जाती है। जानिए इस तीर्थ के बारें.

Edited by: India TV Lifestyle Desk
Published on: September 09, 2017 11:05 IST
gayaji- India TV Hindi
gayaji

नई दिल्ली: शास्त्रों में कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में तर्पण करने से ही पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। अपने पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए हम क्या नहीं करते है। विभिन्न दार्मिक स्थानों पर जाकर तर्पण और पिंडदान करते

पूर्वजों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए एक पखवारे तक चलने वाला पितृपक्ष में श्राद्ध करने की परंपरा काफी पुरानी है। वैसे तो पिंडदान और तर्पण के लिए देश में कई स्थल हैं, लेकिन उसमें सर्वश्रेष्ठ बिहार के गया को माना गया है।

पितृपक्ष प्रारंभ होने के साथ ही गयाजी के फल्गु नदी के तट सहित विभिन्न वेदियों पर हजारों श्रद्धालु पिंडदान व तर्पण कर रहे हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर रहे हैं।

पितरों की मुक्ति का प्रथम और मुख्यद्वार कहे जाने की वजह से गया में पिंडदान का विशेष महत्व है।

हिंदू धर्म में पितृपक्ष को शुभ कामों के लिए वर्जित माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म कर पिंडदान और तर्पण करने से पूर्वजों की सोलह पीढ़ियों की आत्मा को शांति और मुक्ति मिल जाती है। इस मौके पर किया गया श्राद्ध पितृऋण से भी मुक्ति दिलाता है।

आश्विन महीने के कृष्ण पक्ष श्राद्ध या महालया पक्ष कहलाता है। हिंदू धर्म और वैदिक मान्यताओं में पितृ योनि की स्वीकृति और आस्था के कारण श्राद्ध का प्रचलन है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है। ऐसे तो देश के कई स्थानों में पिंडदान किया जाता है, मगर बिहार के फल्गु तट पर बसे गया में पिंडदान का बहुत महत्व है। कहा जाता है कि भगवान राम और सीताजी ने भी राजा दशरथ की आत्मा की शांति के लिए गया में ही पिंडदान किया था।

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