नानासाहब अपने पिता की मत्यु (पेशवा बाजीराव प्रथम की बीमारी के दौरान) ही मराठा सल्तनत पर बैठ गए थे और शनिवार वाड़ा में रहने लगे थे। उनके तीन पुत्र थे, विश्वासराव, माधवराव और नारायणराव। वैसे उनके दो पुत्र और थे जिनकी जल्द ही मृत्यु हो गई थी। नानासाहब की मृत्यु के बाद सत्ता विश्वासराव के पास आ गई जिसे नानासाहब के भाई रधुनाथराव और उनकी पत्नी आनंदीबाई पचा नहीं पाए।
पानीपत की तीसरी लड़ाई में नानासाहब के सबसे बड़े पुत्र विश्वासराव मराठा सेना का नेतृत्व कर रहे थे जबकि उनके दूसरे पुत्र माधवराव युद्ध की रणनीति बना रहे थे। लेकिन उनकी कुछ रणनीतियां उल्टी पड़ गईं जिसकी वजह से विश्वासराव को जान से हाथ धोना पड़ा। बड़े भाई और पेशवा की मृत्यु की ग्लानि में माधवराव बीमार पड़ गए और आख़िरकार उनके भी प्राण निकल गए।
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