यहां मिट्टी के गोल घर मुझे आकर्षित करते हैं जिनके बीचों-बीच मे एक छोटा-सा आंगन है जहां काले लिबास मे कुछ महिलाएं कढ़ाई का काम कर रही हैं। यह महिलाएं मारू मेघवाल और रबाड़ी जनजाति से संबंध रखती है और सिंगल धागे से कपड़े पर त्रिकोण आकर की ज्योमित्री डिज़ाइन की कढ़ाई करती हैं। यह बेहद नफीस और बारीक कढ़ाई है। जिसे बड़ी महारत से किया जाता है। कहते हैं इस कला को करने वाले की आंखें जल्द ही साथ छोड़ जाती हैं। यह कलाकार कपडे पर उलटी तरफ ताने बानों को उठा कर कढ़ाई करती हैं और सीधी तरफ डिज़ाइन बनती जाती है। इस जनजाति का संबंध पाकिस्तान से है। और यह विस्थापित होकर यहां कच्छ मे आ बसे। इनके काम मे महीनो का समय लगता है। लेकिन इनके द्वारा किए गए कढ़ाई के काम की फैशन डिज़ाइनरों मे बड़ी मांग है।