अभी तक मुझे गुजरात मे आए हुए 2 दिन हो चुके हैं लेकिन मैने भूंगे नही देखे। भूंगे यानी के मिट्टी के बने गोल घर जोकि कच्छ के ग्रामीण जीवन की पहचान है। मेरी इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य था कि मैं कच्छ मे रहने वाले जनजातीय जीवन को देख पाऊं। इसीलिए मैंने इस बार गांवों की यात्रा का मन बनाया। मेरा अगला पड़ाव होगा ऐसे ही एक गांव जहां मैं कच्छी कला से जुड़े समुदायों से मिल सकू। हम भुज के बहुत नज़दीक हैं और भुज के नज़दीक ही एक गांव पड़ता है जिसका नाम है सुमरासार शैख़। इस गाँव की एक ख़ासियत है यहां कच्छ मे किए जाने वाली कढ़ाई के काम की सबसे बेहतरीन क़िस्म यहीं देखने को मिलती है। इस गांव मे कई NGO और संगठन यहां की कला के संरक्षण के लिए काम करते हैं। मैं धूल उड़ाती कच्ची सड़कों को पार करते हुए ऐसी ही एक जगह पहुंच गई। यह कला रक्षा केंद्र है जहां सूफ कला के संरक्षण के लिए कार्य किया जाता है।