इस मदिंर का इतिहास
इस मंदिर को 16वीं शताब्दी में तोड़ दिया गया था, इसी के बाद राजा विश्व सिंह ने इस मंदिर की खुदाई करा करइसका निर्माण कराया, लेकिन फिर इस मंदिर को 1564 में मुस्लिम आक्रमणकारियों ने इसे तोड़ दिया था। जिसे अगले साल राजा विश्वसिंह के पुत्र नरनारायण ने बनवाया था।