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दशहरा के दिन कानपुर के दशानन मंदिर में होती है लंकेश की पूजा

नई दिल्ली: देश में नवरात्र की तैयारियों के साथ ही दशहरा की तैयारी शुरू कर देते है। दशहरा देश में हर जगह अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। अश्विन मास की दशमी को दशहरा मनाया

India TV Lifestyle Desk
Updated on: December 04, 2015 17:12 IST

india TVपुजारी तिवारी ने बताया कि शिवाला में एक कैलाश मंदिर है जहांके परिसर में देवी के 23 अवतार विद्यमान हैं। मंदिर के प्रांगण में शिव मंदिर के पास ही रावण का मंदिर है। इसका निर्माण उन्नाव जिले के पत्की जगदीशपुर निवासी महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल ने कराया था।

 

पौराणिक मान्यता है कि रावण सभी शास्त्रों को जानने वाला बहुत बड़ा पंडित था। साथ ही वह भगवान शिव का परम भक्त था। वह यह अच्छी तरह जानता था कि शिव को प्रसन्न करने के लिए देवी की आराधना जरुर करनी पडेगी। इसलिए शक्ति के प्रहरी के रूप में यहां रावण का मंदिर बनाया गया।

 

धर्म ग्रंथों के अनुसार माना जाता है कि रावण का जन्म औक मृत्यु एक ही दिन हुई। असका जन्म दशमी को हुआ और मृत्यु भी दशमी को ही हुई। रावण बहुत ही बलशाली था जिसके कारण उसके अधीन सभी देवता और ग्रह थे। इसी मान्यता को मानकर देवताओं और ग्रहों को शांत करने के लिए रावण की मूर्ति के सामने सरसों के तेल का दीपक जलातें है। जिससे उनके घर में सुख-शांति, धन-समृद्दि आएं। दशहरा के दिन रावण की पूजा के साथ रामलीला का आयोजन कर उसका वध किया जाता है। जिसके बाद दशानन का यह मंदिर पूरें साल के लिए बंद हो जाता है।

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