नई दिल्ली: देश में नवरात्र की तैयारियों के साथ ही दशहरा की तैयारी शुरू कर देते है। दशहरा देश में हर जगह अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है। अश्विन मास की दशमी को दशहरा मनाया जाता है। इस दिन श्री राम ने रावण का वध कर राक्षसराज का अंत किया था। जिससे बुराई पर अच्छाई की जीत हुई।
ये भी पढ़े- दशहरा स्पेशल: रावण ने क्या वास्तव में सीता का हरण किया था!
रावण का वध कर श्री राम के विजय होने के प्रतीक में विजयादशमी या दशहरा मनाया जाता है, लेकिन हम आपको अपनी खबर में एक ऐसें मंदिर के बारें में बता रहें जहां पर रावण की पूजा की जाती है। जानिए इस मंदिर के बारें में।
उत्तर प्रदेश का एक जिला कानपुर है जहां पर शिवाला में स्थित दशानन मंदिर में रोजाना शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा बड़े ही विधि-विधान से की जाती है, लेकिन इसके कपाट भक्तों के लिए सिर्फ दशहरा के दिन ही खुलते है। इस दिन हजारों भक्त आते है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
दशानन मंदिर के प्रबंधक के के तिवारी ने बताया कि यद मंदिर साल 1868 में बना था। दशानन मंदिर सिर्फ दशहरा के दिन ही खुलता है। इस दिन बहुत अधिक तदाद में श्रृद्धालु आते है। रावण के दर्शन करने से आपके ग्रह को शांत रहते है। इसके लिए इस दिन सरसों के तेल के दीपक जलाते हैं। पिछले 10 पीढ़ियों से मंदिर की देखरेख का जिम्मा गिरि परिवार के पास है। इस मंदिर में रावण के चार मुख और कई सारी भुजाएं है।
ये भी पढ़े- शरीफा में छिपें है कई औषधीय गुण, जानिए
अगली स्लाइड में इसके बारें में और जानकारी