पणजी: गोवा सरकार के कला एवं संस्कृति विभाग ने कहा कि इसके कर्मचारियों को बिना बांह के कपड़े और जींस पहनने पर रोक लगाने संबंधी आदेश को गलत समझा गया। इस आदेश ने राज्य के साथ-साथ देशभर में विवाद पैदा कर दिया था। कला एवं संस्कृति विभाग के निदेशक प्रसाद लोलेकर ने शुक्रवार को जारी नए निर्देश में सभी कर्मचारियों को अर्ध-औपचारिक, औपचारिक या स्मार्ट परिधान पहन कर कार्यालय आने को कहा।
लोलयेकर ने अपने नए आदेश में कहा, "निदेशक कार्यालय की तरफ कार्यालय में या कार्यालय के कार्यक्रम में औपचारिक परिधान पहनने के निर्देश कार्यालय में शिष्टाचार बनाए रखने को लेकर दिए गए थे। हालांकि, कार्यालय के निर्देश को गलत समझा गया। कार्यालय के निर्देश में सही शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया गया था और न ही सही तरीके से लिखा गया था, जिसके कारण इसे गलत समझने की संभावना मौजूद थी।"
इसी कार्यालय की तरफ से पूर्व में जारी आदेश में अधिकारियों को जींस, कोडुरॉय, टी-शर्ट, कई जेबों वाले ट्राउजर, बिना बांह वाली ड्रेस न पहनने को कहा गया था, लेकिन इस पर विवाद तब शुरू हुआ जब 24 मार्च को विधानसभा के बजट सत्र के दौरान यह सदन के पटल पर रखा गया।
पुराने आदेश को रद्द करते हुए नए आदेश में कहा गया है, "सभी कर्मचारियों को यह सूचित किया जाता है कि वे निदेशक कार्यालय या कार्यालय संबंधी कार्यक्रम में अर्ध-औपचारिक, औपचारिक या स्मार्ट परिधान पहनेंगे, ताकि कार्यालय के शिष्टाचार को बरकरार रखा जा सके।"
गोवा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली गठबंधन सकरार के कई मंत्रियों ने पिछले सप्ताह पाश्चात्य परिधानों पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए कहा था कि यह भारतीय संस्कृति के खिलाफ है।