नई दिल्ली: इस साल को खत्म होने में अभी 6 दिन बाकी है लेकिन 2017 की विदाई और 2018 के स्वागत करने के लिए लोगों ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। अभी से लोगों के अंदर इस बात को लेकर काफी एक्साइटमेंट है कि 31 दिसंबर को क्या करना है ? कैसे इसे स्पेशल बनाना है ? कहां घूमने जा सकते हैं। कई लोग देश में दूसरे जगह जाने की सोच रहे हैं तो इससे बेहतर टिप्स कोई और नहीं हो सकता इस नए साल पर किस जगह घूमना आपके लिए ज्यादा यादगार हो सकता है। हम आपको बता रहे हैं इस न्यू ईयर को कैसे बना सकते हैं खास।
जैसलमेर
संकरी गलियों वाले जैसलमेर के ऊंचे-ऊंचे भव्य आलीशान भवन और हवेलियां सैलानियों को मध्यकालीन राजशाही की याद दिलाती हैं। शहर इतने छोटे क्षेत्र में फैला है कि सैलानी यहां पैदल घूमते हुए मरुभूमि के इस सुनहरे मुकुट को निहार सकते हैं। माना जाता है कि जैसलमेर की स्थापना भाटी राजपूत, राव जैसल ने 12 वीं शताब्दी में की थी।कोच्चि
कोच्चि भारतीय मसाला व्यापार का केन्द्र कई शताब्दियों से रहा है, जिसकी जानकारी यवनों (प्राचीन यूनानियों एवं रोमवासियों) के साथ साथ यहूदियों, सीरियाइयों, अरबों तथा चीनियों को प्राचीन काल से ही थी। कोच्चि एक अनूठा पर्यटन स्थल है और अपने जीवनकाल में इसे एक बार अवश्य देखना चाहिए। यह शानदार शहर भारत का प्रमुख बंदरगाह शहर है और यह अपने शक्तिशाली अरब सागर के पानी पर इठलाता है। कोच्चि, जो पहले कोचीन के नाम से जाना जाता था केरल के एर्नाकुलम जिले के अंतर्गत आता है। कोच्चि का नाम मलयालम के शब्द ' कोचु अजहि' के नाम पर पड़ा है जिसका अर्थ है 'छोटी खाड़ी', जो इस बंदरगाह शहर के लिए उपयुक्त है।
दार्जिलिंग
चाय के बगानों के देखना आप पसंद करते हैं तो न्यू जलपाईगुड़ी को देखना न भूलें। इस क्षेत्र में टॉय ट्रेन आपके लिए एकदम परफेक्ट है। ये ट्रेन आपको बादियों के बीच खूबसूरत नजारा दिखाते हुए ले जाएगी। दार्जिंलिंग को 'पहाड़ो की रानी' और अपनी ख़ूबसूरती के लिए प्रसिद्ध है | यह भारत के राज्य पश्चिम बंगाल का एक नगर है | यह नगर देखने में बहुत ही खूबसूरत और रोमाचंक है इसलिए यहां पर साल भर लोग घूमने के लिए आते रहते है |। दार्जिलिंग शब्द की उत्त्पति दो तिब्बती शब्दों दोर्जे (ब्रज) और लिंग (स्थान) से हुआ है | इसका अर्थ है 'ब्रज का स्थान' है।