नई दिल्ली: दशहरा और विजयदशमी 19 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। जिसमें बुराई से अच्छाई की विजय हुई थी। रावण बहुत ही बड़ा विद्वान माना जाता है। लेकिन मां सीता का हरण करने के बाद वह राक्षस कहलाने लगा था। आपको बता दें कि रावण शिव जी बहुत बड़ा भक्त था। इसी वजह से कई जगहों पर मंदिरों के नाम रखे गए है। जहां पर रावण की पूजा ही नहीं कि जाती बल्कि दशहरा वाले दिन इसे मातम के रुप में मनाया जाता है। जानिए ऐसे मंदिरों के बारें में।
वैजनाथ कस्बा, हिमाचल प्रदेश
इस जगह को लेकर मान्यता है कि रावण ने भगवान शिव की वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। साथ ही यह भी माना जाता है कि बैजनाथ कस्बे से होकर ही रावण शिवलिंग लेकर लंका के लिए गुज़रे थे। यहां कोई रावण का मंदिर नहीं है, बल्कि कस्बे के साथ मौजूद यह मंदिर टूरिस्टों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। जिसके कारण यहां पर रावण नहीं जलाया जाता है। (Happy Dussehra 2018 Wishes Image, Message, Quotes: दशहरा में ऐसे दें अपनों को शुभकामनाएं )
दशानन मंदिर, कानपुर, उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश का एक जिला कानपुर है जहां पर शिवाला में स्थित दशानन मंदिर में रोजाना शक्ति के प्रतीक के रूप में रावण की पूजा बड़े ही विधि-विधान से की जाती है, लेकिन इसके कपाट भक्तों के लिए सिर्फ दशहरा के दिन ही खुलते है। इस दिन हजारों भक्त आते है और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। (Dussehra 2018: श्रीलंका में इस जगह मौजूद है रावण का शव! जो बना हुआ है एक बेहतरीन टूरिस्ट स्पॉट)
दशानन मंदिर के प्रबंधक के के तिवारी ने बताया कि यद मंदिर साल 1868 में बना था। दशानन मंदिर सिर्फ दशहरा के दिन ही खुलता है। इस दिन बहुत अधिक तदाद में श्रृद्धालु आते है। रावण के दर्शन करने से आपके ग्रह को शांत रहते है। इसके लिए इस दिन सरसों के तेल के दीपक जलाते हैं। पिछले 10 पीढ़ियों से मंदिर की देखरेख का जिम्मा गिरि परिवार के पास है। इस मंदिर में रावण के चार मुख और कई सारी भुजाएं है।
मंडोर, जोधपुर
मंडोर को रावण की ससुराल माना जाता है। आपको बता दें कि रावण की पहली पत्नी मंदोदरी को बेटी मानते हैं। इसके अलावा यहां मौजूद श्रीमाली ब्राह्मण समाज के लोग रावण की कुलदेवी खरानना की पूजा करते हैं और खुद को रावण का वंशज बताते हैं। मंडोर में रावण और मंदोदरी का मंदिर भी है। जिसके कारण विजयादशमी के दिन यहां के लोग शोक मनाते है।
विदिशा, मध्य प्रदेश
इस जगह को भी रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्म स्थान माना जाता है। दशहरे के दिन लोग यहां मौजूद 10 फीट लंबी रावण की प्रतिमा की पूजा करते हैं। इसके साथ ही शुभ अवसर पर भी इस मूर्ति का आर्शीवाद लेते हैं।