नई दिल्ली: जापान का शहर टोक्यो का फेमस मंदिर 'किचिजोई' मंदिर का नाम हिंदू देवी लक्ष्मी के नाम पर रखा गया है। 'किचिजोई' का मतलब भगवान लक्ष्मी का मंदिर होता है। वहां के मूल निवासी किताग्वा अपने कॉलेज के दिनों को याद करते हुए बताते हैं कि जापान और भारत एक दूसरे से काफी अलग हैं लेकिन कहीं न कहीं इन दोनों देशों की संस्कुति में काफी समानता देखने को मिलती है। इस शहर के इस खास मंदिर को हिदूं देवी देवता को समर्पित करते हुए बनाया गया है।
रविवार को जापान के जनरल काउंसुल ताकायुकी कित्गवा ने इस बात की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जापान के पास एक शहर है किचयोजी। किचयोजी का नाम हिन्दू देवी लक्ष्मी के नाम पर रखा गया है।
उन्होंने बताया कि आपको यह जानकर हैरानी होगी कि टोक्यो के पास का ये शहर लक्ष्मी मंदिर से निकलता है। यानी जापान में किचयोजी का मतलब लक्ष्मी मंदिर होता है। ये बात किताग्वा ने बेंगलुरु में स्नातक दिवस के अवसर पर छात्रों और शिक्षकों को बताई।
जापानी संस्कृति और समाज पर भारत के असर को बताते हुए कितग्वा ने बताया कि जापान और भारत की सोच बिल्कुल अलग है। बावजूद इसके जापान के मंदिरों में कई ऐसे साक्ष्य हैं जो हिन्दू देवी-देवताओं को समर्पित हैं। उन्होंने बताया कि उगते सूर्य वाले देश जापान में बहुत से हिन्दू देवी-देवताओं को माना जाता है। सालों से हम हिन्दू देवी-देवताओं की पूजा करते आ रहे हैं।
बेंगलुरु में कितग्वा ने बताया कि जापानी लिपि में बहुत से संस्कृत के शब्द हैं, जिसे देखते हुए ऐसा लगता है कि जापानी भाषा भारतीय भाषाओं से प्रभावित थी। जापानी काउंसुल ने ये भी बताया कि उदाहरण के लिए, जापानी पकवान सुशी चावल और सिरका से बना है। सुशी जो की शारी शब्द से जु़ड़ा है और शारी संस्कृत के शब्द जाली से बना है। इसका मतलब चावल होता है।
जापानी काउंसील के मुताबिक जापान के 500 शब्द संस्कृत और तमिल से निकले हैं। यहां न सिर्फ भारतीय संस्कृति बल्कि भारतीय भाषाओं का भी असर है। काउंसुल ने बताया कि भाषा की वजह से ही यहां की भाषा और पूजा करने का तरीका भारतीयों जैसा है।(सिर्फ 13,499 रुपये में अमेरिका-यूरोप की भर सकते हैं उड़ान, इस तरह करें टिकट बुक)
आपको बता दें कि शैक्षिक संस्थानों के निजी तौर पर संचालित समूह ने जापानी छात्रों के साथ जापानी भाषा में अपने छात्रों को ट्रेनिंग करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किया है। दरअसल जापान में कुशल पेशेवरों की बड़ी मांग है, इसलिए इसकी भाषा का ज्ञान भारतीय स्नातकों को भी दिया जा रहा है ताकि उन्हें वहां भी नौकरी मिल सके।(Travel News: सस्ते में करनी है विदेश यात्रा तो 'बाली' है सबसे बेहतर)