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छत्तीसगढ़ का आलोर मंदिर जिसके पट खुलते साल में एक बार

रायपुर/जगदलपुर: छत्तीसगढ़ में आलोर, फरसगांव स्थित एक ऐसा दरबार है, जहां का दरवाजा साल में एक ही बार खुलता है। लिंगेश्वरी माता के मंदिर का पट खुलते ही पांच व्यक्ति रेत पर अंकित निशान देखकर

IANS
Updated on: September 22, 2015 14:22 IST


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गुफा के अंदर चट्टान के बीचो-बीच प्राकृतिक शिवलिंग है, जिसकी लंबाई लगभग दो या ढाई फुट होगी। प्रत्यक्षदर्शियों का मानना है कि पहले इसकी ऊंचाई बहुत कम थी। बस्तर का यह शिवलिंग गुफा गुप्त है। वर्षभर में दरवाजा एक दिन ही खुलता है, बाकी दिन ढका रहता है। इसे शिव और शक्ति का समन्वित नाम दिया गया है लिंगाई माता।

प्रतिवर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि के बाद आने वाले बुधवार को इस प्राकृतिक देवालय को खोल दिया जाता है। दिनभर श्रद्धालु अाते रहते हैं, दर्शन और पूजा-अर्चना करते हैं। इसके बाद पत्थर टिकाकर दरवाजा बंद कर दिया जाता है।यें भी पढें-(एक ऐसा मंदिर जहां नहीं चढ़ता चढ़ावा और न है कोई VIP )

कहा जाता है यहां ज्यादातर नि:संतान दंपति संतान की कामना से आते हैं। संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दंपति नियमानुसार खीरा चढ़ाते हैं। चढ़ाए हुए खीरे को नाखून से फाड़कर शिवलिंग के समक्ष ही (कड़वा भाग सहित) खाकर गुफा से बाहर निकलना होता है।

यह प्राकृतिक शिवालय पूरे प्रदेश में आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पूजा के बाद मंदिर की सतह (चट्टान) पर रेत बिछाकर उसे बंद किया जाता है। अगले वर्ष इस रेत पर किसी जानवर के पदचिह्न् अंकित मिलते हैं। निशान देखकर भविष्य में घटने वाली घटनाओं का अनुमान लगाया जाता है।

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