महाबलेश्वर
बारिश के मौसम में महाबलेश्वर की खूबसूरत पहाड़ियां बेहद आकर्षक लगती है। महाराष्ट्र के सतारा जिले में महाबलेश्वर समुद्र तल से 1372 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह महाराष्ट्र का सबसे ऊंचा पर्वतीय स्थान है।
महाबलेश्वमर का शाब्दिक अर्थ है- गॉड ऑफ ग्रेट पॉवर यानि भगवान की महान शक्ति। महाबलेश्वर को पांच नदियों की भूमि भी कहा जाता है। यहां वीना, गायत्री, सावित्री, कोयना और कृष्णा नामक पांच नदियां बहती है। यहां घूमने के लिए महाबलेश्वर मंदिर, पहाड़, नदी, झरने व हरियाली से सुसज्जित मैदान की सैर तरोताजा कर देती है।
महाबलेश्वर की खोज सबसे पहले राजा सिंघन ने की थी। उन्होंने ही प्रसिद्ध महाबलेश्वर मंदिर का निर्माण करवाया। 17वीं शताब्दी के बाद शिवाजी राजे ने कब्जा करके यहां प्रतापगढ़ किला बनवाया। जिसे आज भी सैलानी देखने आते हैं। 1819 में अंग्रेजों ने महाबलेश्वर को अपने हाथों में ले लिया। और इस स्थान को एक हिल स्टेशन के रूप में संजाया संवारा। इतना ही नहीं यह ब्रिटिशकाल में बॉम्बे प्रेसीडेंसी की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी रहा।
सन् 1828 में बॉम्बे प्रेसीडेंसी के गवर्नर सर जॉन मेलकम ने महाबलेश्वर में देखने योग्य लगभग 30 प्वाइंट चिन्हित किये। महाबलेश्वर में कई ऐसी जगह हैं जहां पर्यटक भ्रमण कर रोमांचित हो सकते हैं। शाम को विल्ससन प्वांइट का नजारा देखना काफी अच्छा लगता है। दर्शनीय स्थानों में लिंगमाला वाटर फाल, वेन्ना लेक, पुराना महाबलेश्वर मंदिर प्रमुख हैं। भिलर टेबललैंड, मेहेर बाबा गुफाएं, कमलगर किला और हेरिसन फोली भी देखा जा सकता है।
यहां कई प्राचीन मंदिर भी है जहां भगवान के दर्शन कर श्रद्धालु आध्यात्मिक ज्ञान की भी प्राप्ति करते हैं। बारिश के मौसम में यहां काफी हरियाली होने के कारण यहां ज्यादा पर्यटक आना पसंद करते है
कैसे पहुंचे- महाबलेश्वर, मुम्बई से 220 किमी. और पुणे से 180 किमी. दूर स्थित है। यहां रेल, रोड व हवाई यात्रा से पहुंचा जा सकता है। नजदीकी हवाई अड्डा पुणे हैं।
कहां ठहरें
महाबलेश्वर शहर में अच्छे होटल व गेस्ट हाउस की कमी नही हैं। जहां सुरक्षा का पूरा ख्याल भी रखा जाता है। आप अपने बजट के मुताबिक होटल को किराये पर ले सकते हैं।
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