ठहराव लाएगा जुड़ाव
रिश्ते भी पतंग डोर से ही होते हैं। इनमें आपसी जुड़ाव ही ठहराव लाता है। एक दूजे से कटकर जिंदगी के कोई मायने नहीं। पतंग भी डोर से बंधी है, तो जमीन से जुड़ी रहती है। ठीक इसी तरह रिश्तों में जुड़ाव बना रहता है, तो ठहराव आता है। गहराई आती है, जिससे खुशियां ही नहीं, गम भी साझा करने का हौसला मिलता है। रिश्तों के धागे इसी जुड़ाव का तानाबाना बुनते हैं।
रिश्तों का यह ताना-बाना बच्चों को स्नेह बांटना सिखाता है, तो बड़ों को सुरक्षा और सम्मान की सौगात देता है। संतुलित संवाद और इमोशनली अटैच रहना इस लगाव को और मजबूती दे सकता है। रिश्तों को टिकाऊ बना सकता है। हमें सही मायने में एक-दूसरे का सपोर्ट सिस्टम बना सकता है, इसलिए रिश्तों की डोरी को उलझने न दें।